Nautapa 2023 : हीटवेव का मतलब है लू चलना। लू चलने का नाम अब हीटवेव के रूप में जाना जाने लगा है। शहरीकरण, पहाड़ों व पेड़ों की कटाई और वायु प्रदूषण सहित विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के कारण आजकल हीटवेव पहले की तुलना में ज्यादा से ज्यादा बढ़ गया है। मई 2022 में उत्तर प्रदेश देश का सबसे गर्म राज्य के रूप में रिकार्ड किया गया था। 17 मई 2022 को हमीरपुर का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था और बुंदेलखंड का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस था।
देश में गर्मी का सितम शुरू हो गया है और कई राज्य लू की चपेट में हैं। दिल्ली और उत्तर भारत में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है वहीं दक्षिण के राज्यों में तापमान 42-43 डिग्री तक पहुंच गया है। देश के कई राज्यों में लू का ऑरेंज (खतरा आने वाला है) अलर्ट भी जारी हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है. तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है।
हीटवेव या लू लगने के दौरान क्या होता है?
हीटवेव के दौरान, शरीर में पानी और सोडियम की कमी होती है, जिससे दिमाग, किडनी, लिवर और मांसपेशियों में गंभीर चोट लग सकती है। जिन मरीजों को हीट स्ट्रोक हुआ है, वे अपने बॉडी टेंपरेचर से लेकर मलाशय के तापमान की जांच करानी पड़ सकती है।
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हीटवेव में खुद की सुरक्षा कैसे करें
हीटवेव में एक चीज का ख्याल हमेशा रखना है कि शरीर को हमेशा ठंडा रखना है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। मौसमी फल खाएं। गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचने के लिए, मौसम की चेतावनी जारी होने पर घर के अंदर रहैं।ढीले सूती कपड़े पहने और बाहर निकलते समय छाता या धूप का चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है। हम देसी ड्रिंक जैसे सत्तू का शरबत, आम का पना, शिकंजी, नारियल पानी, लस्सी या फिर मट्ठा का इस्तेमाल करते हैं तो ये स्वादिष्ट होने के साथ साथ पौष्टिक भी होते हैं और शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करते हैं। इसके अलावा गर्मी में बेल के शरबत गरम हवाओं के प्रभाव से शरीर को बचाता है। लू लगने पर हरे चने की सूखी पत्ती (सुसका) को भिगोकर शरीर में मलने से राहत मिलती है।
हीटवेव के दुष्प्रभाव
जंगल की आग
जब सूखे के दौरान गर्मी की लहर होती है, तो जंगल आग पकड़ने के गंभीर खतरे में होते हैं। जंगलों में आग लगने के कारण आसपास के क्षेत्रों में गर्मी और बढ़ जाती है। साथ ही कीमती लकड़ी, फल और जीव जंतुओं के जनजीवन पर गम्भीर असर पड़ता है। बुंदेलखंड के जंगलों में हर साल आग चल जाती है जो कई कई दिनों तक बुझती नहीं है।
स्वास्थ्य
जब यह बहुत गर्म होता है, तो हमारा मूड बहुत बदल सकता है। अगर उचित उपाय नहीं किए जाते हैं तो हम हीट स्ट्रोक या हाइपरथर्मिया से पीड़ित हो सकते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और जो लोग बीमार हैं वे गर्मी की लहरों के लिए सबसे कमजोर होते हैं। अक्सर लू लग जाती है।
बिजली की खपत
सबसे गर्म अवधि के दौरान हमारी बिजली की खपत आसमान छूती है। बिजली की खपत बढ़ जाती है। शहरों के लोग फ्रिज, कूलर, एसी चलाते हैं खुद को ठंडा रखने के लिए। बिजली उपकरणों के ऊपर बहुत लोड पड़ता है। बार बार ट्रांसफार्मर फूक जाते हैं। ऐसे में किसी इलाके को ज्यादा और किसी इलाके में बिजली बहुत कम दी जाती है। गांवों में बिजली की कटौती बहुत बढ़ जाती है।
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