हाथरस में कोई नेता कुछ बोल क्यों नहीं रहा भाई! किसी भी पार्टी के नेता का बयान क्यों नहीं आ रहा है? जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गए तो अस्पतालों में घायलों से मिलकर चले आए। कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी गए, लोगों के परिवार के साथ बैठे, उनको सुना। सपा पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने X अकाउंट पर दुःख जाहिर किया। यहां तक प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुःख जताया लेकिन कार्यवाही के नाम पर बाबा भोले उर्फ नारायण हरि साकार का नाम तक नहीं लिया गया।
कार्यवाही तो हो रही है। कई सेवादारों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक सेवादार को तो मुख्य आरोपी ठहरा दिया गया लेकिन बाबा के लिए एक शब्द भी नहीं निकले। इसका कारण यही है कि बाबा की पॉलिटिकल पावर में बहुत बड़ी पावर है।
वहां के स्थानीय लोग बता रहे हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 26 जिलों की 27 लोकसभा और 137 विधानसभा सीटों पर दलितों का प्रभाव है। यहां कुल वोटर्स में दलितों की संख्या 22% है, 17% OBC हैं। जिस हाथरस में हादसा हुआ, वहां 3 लाख वोटर्स दलित वर्ग से हैं। पड़ोसी जिले अलीगढ़ में यह संख्या 3 लाख से ज़्यादा है।
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हैरानी वाली बात यह है कि आजादी के 75 साल में जहां देश में साक्षरता की दर 12 फीसदी से बढ़कर 76.32 फीसदी हो गई है, उसी अनुपात में समाज में अंध भक्ति और वैज्ञानिक सोच भी बढ़ी है। लोग साक्षर तो हो रहे हैं लेकिन शिक्षित नहीं हो रहे। समाज को दिशा देने वाले सच्चे संतो के साथ-साथ ऐसे ढोंगी बाबा पहले भी रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है।
अंधविश्वासी बाबावाद अब एक मुनाफे का धंधा बन चुका है। 2017 से देश में ऐसे 14 फर्जी बाबा थे, जिनकी संख्या अब करीब डेढ़ गुना हो चुकी है और राजनीतिक संरक्षण इनकी दुकान को शो रूम में तब्दील कर देता है।
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