हरियाणा के जीन्द जिले की एक छोटे से गांव की रहने वाली विकास राणा देश मे अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं।
स्कीइंग खिलाड़ी विकास राणा किसान की बेटी बहुत मेहनत लगन से समाज की बातों को इग्नोर करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा करने मे लगी रही कहते हैं न जब हौसला बुलंद हो मंजिल मिल ही जाती है।
देशभर में कही भी हो महिलाओं लड़कियों को आगे आने पर समाज के ठेकेदार बहुत तरह से रूकावट डालते हैं। लेकिन अगर हिम्मत हार गए समाज की बातो को सुन कर तो आगे नहीं जा सकते। हर लडकियों के लिए एक मिसाल है विकास राणा।2019 हाइलाइट महिलाओँ के मुद्दे धरती से चाँद तक
उन्हें स्कीइंग का शौक था घर मे अर्थिक स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी लेकिन वो अपनी एक अगल पहचान बनाना चाहती थी। तब उनके फुफा जी ने अर्थिक मदद की और फिर उनके जिद और शौक के आगे घर वालोँ को भी उनकी मर्जी के आगे मानना पड़ा आज वो नेशनल लेवल पर खेल चुकी है। उन्होंने कहा मैने की परवाह नहीं की मैने पीछे मुड़कर नहीं देखा पहले सबलोग मुझे बुरा कहते थे लेकिन धीरे-धीरे मै अपने लक्ष्य तक पहुँचती गई। लोगों की बाते कम होती गई।
आज मेरे नाम से मेरा गाँव जाना जाता है पूरे हरियाणा मे मेरा नाम है फिर भी मै खुश नहीं हूँ। अंतर्राष्ट्रीय खेलने का अवसर मिला लेकिन जाने का मौका नहीं मिला। मेरे खेलने पर दो साल का बैन लगा दिया गया। कोर्ट का सहारा लेना पड़ा न सरकार ने कोई मदद की न प्रसाशनिक मदद मिली। फिर भी हरियाणा की पहली लड़की हूँ जो स्कीइंग में नेशनल तक पहूंची हूं।
विकास राणा अपना ही नहीं अपने राज्य ही नहीं देश का भी खूब नाम रोअशन कर रही हैं ऐसी बेटियां बहुत बड़ा प्रेरणा का श्रोत हैं हमारी गाँव और शहरों में रहने वाली लड़कियों के लिए