हाल ही में हमीरपुर जिले के बदनपुर गांव का एक फोटो वायरल हुआ था । जिसमें एक महिला सवारियों से भरा रिक्शा चलाती हुई नजर आ रही थी। खबर लहरिया ने उस हिम्मती महिला से बात किया तो उनका कहना है कि उनका नाम फूलमती नहीं सावित्री है, फोटो में जो छोटी सी बच्ची है वह उनकी बेटी है और साथ में जो महिला है गांव की महिला है जो सवारी के रूप में बैठी हुई है और यह फोटो करीब 10 साल पुराना है।
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पति शुरू से ही कुछ काम भी नहीं करता था और परिवार बहुत बड़ा था जिसको चला पाना थोड़ा सा मुश्किल था । उन्होंने एक बारी रखी थी जिसका वह खेतों से सामान लाना और ले जाने के लिए दूसरों को ₹50 दिया करती थी तो उनके मन में विचार आया कि यह काम तो मैं भी कर सकती हूं वही ₹50 मेरे अपने बच्चों के काम आएंगे। फिर क्या था सावित्री ने हिम्मत बांधी और रिक्शा चलाने की ताकत ले आईं और चल पड़ीं रास्ते पर।
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इस दौरान वो अपना काम तो देखती थीं और साथ में सवारी भी ढोती रहीं। उस टाइम पर एक सवारी का ₹5 मिलता था। सारे दिन में दो सौ से ₹500 आराम से कमा लेती थी जिससे उनका घर चल जाता था और आमदनी भी अच्छी हो जाती। इसी आमदनी से उन्होंने अपनी तीन लड़कियों की शादी कर दी है और अब उनका बेटा भी बड़ा हो गया है। अब पैडल वाला रिक्शा भी नहीं चलता है तो बैटरी रिक्शा उनका बेटा चलाता है जिससे उनका घर चल जाता है और यह घर पर रहकर पशुपालन और बटाई की खेती करती हैं।
उनका कहना है कि अगर कभी जरूरत पड़े तो वह अब भी रिक्शा को चलाने में पीछे नहीं हटेंगी। जब वह रिक्शा चलती थी तो उनको लोगों ने बहुत सराहा करते थे, बहुत हिम्मत दी कि एक महिला होकर वह रिक्शा चला कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही हैं।
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