खबर लहरिया Blog Haldwani Violence: मदरसे के तोड़ने से भड़की हिंसा, क्षेत्र में कर्फ्यू, देखते ही गोली मारने का आदेश ज़ारी

Haldwani Violence: मदरसे के तोड़ने से भड़की हिंसा, क्षेत्र में कर्फ्यू, देखते ही गोली मारने का आदेश ज़ारी

अधिकारियों ने मदरसे को तोड़ने से पहले सिर्फ दो लोगों को जल्द से जल्द अपनी धार्मिक किताबें लेकर आने की इज़ाज़त दी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि लोग मदरसा तोड़ने के आदेश को दिखाने को लेकर कहते रहे लेकिन वे बलपूर्वक आगे बढ़े, जिससे स्थिति और भी ज़्यादा बिगड़ गई।

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                                                             हल्द्वानी में कथित तौर पर अवैध मदरसे को तोड़ने के बाद हिंसा भड़क गई है ( फोटो – सोशल मीडिया)

उत्तराखंड के हल्द्वानी में पुलिस द्वारा की जा रही गोलीबारी में अभी तक 5 लोगों के मरने व लगभग 200 से ज़्यादा लोगों के घायल होने की खबर है, जहां नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर 8 फरवरी को अवैध मदरसे को धवस्त कर दिया गया। मदरसे को तोड़ने के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क गई है।

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, “डीएम [जिला मजिस्ट्रेट] नैनीताल ने बनभूलपुरा में कर्फ्यू लगा दिया है और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है।”

क्षेत्र में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस दौरान पुरुष पुलिस अधिकारीयों द्वारा महिलाओं को लाठी द्वारा पीटा भी गया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि मुठभेड़ पहले से ही प्लान थी। इससे पहले, बनभूलपुरा (Banbhoolpura) में एक “अवैध रूप से निर्मित” मदरसे और एक पास के मस्जिद को ध्वस्त करने पर निवासियों द्वारा वाहनों और एक पुलिस स्टेशन को आग लगाने और पथराव करने के बाद अधिकारियों ने कर्फ्यू लगा दिया था।

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लोगों ने कहा, तोड़ने से पहले नहीं दिया नोटिस

घटना 8 फरवरी (गुरुवार) को दोपहर करीब 3:30 बजे की है, जब अधिकारी बुलडोजर लेकर ‘मलिक के बागीचे’ (Malik ke Bagiche) का मदरसा तोड़ने पहुंचे। मौके पर मौजूद लोगों ने द वायर को बताया कि न तो उन्हें उनके पवित्र पूजा स्थल को ध्वस्त करने का कोई आदेश दिया गया है और न ही अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार हैं।

स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मदरसे तोड़ने के आदेश के दस्तावेज दिखाने से भी इंकार कर दिया।

स्थानीय लोगों के आरोपों के बाद नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने स्पष्टीकरण देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि,”…हाईकोर्ट के आदेश के बाद हलद्वानी में विभिन्न स्थानों पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई…सभी को नोटिस दिया गया और सुनवाई के लिए समय दिया गया…कुछ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जबकि कुछ को समय दिया गया।” कुछ को समय नहीं दिया गया। जहां समय नहीं दिया गया वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम द्वारा विध्वंस अभियान चलाया गया। यह कोई अलग गतिविधि नहीं थी और किसी विशेष संपत्ति को लक्षित नहीं किया गया था।”

हिंसा में स्थानीय सहित पुलिस कर्मी भी चोटिल

एक प्रत्यक्षदर्शी ने द वायर को बताया, “पुरुष पुलिस अधिकारियों ने हमारी महिलाओं को लाठियों से पीटा और इलाके में गोलियों से कम से कम चार लोग घायल हो गए।”

जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने मदरसे को तोड़ने से पहले सिर्फ दो लोगों को जल्द से जल्द अपनी धार्मिक किताबें लेकर आने की इज़ाज़त दी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि लोग मदरसा तोड़ने के आदेश को दिखाने को लेकर कहते रहे लेकिन वे बलपूर्वक आगे बढ़े, जिससे स्थिति और भी ज़्यादा बिगड़ गई।

प्रत्यक्षदर्शी ने आगे कहा कि इलाके के कुछ लोगों की जवाबी कार्यवाही करने की वजह से कुछ पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए। “लेकिन महिलाओं ने उनका क्या बिगाड़ा था?” उन्होंने पूछा।

उत्तराखंड प्राधिकरण द्वारा गिराया गया यह मदरसा रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में स्थित है जहां 4,000 से अधिक परिवार रहते हैं। केंद्र रेलवे विस्तार के लिए जमीन चाहता है और इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही चल रही है।

स्थानीय लोगों ने द वायर को बताया कि कल रात को भी पुलिस द्वारा गोलबारी की जा रही थी। वह लोग घर के अंदर थे तब भी पुलिस द्वारा उनके घर के दरवाज़ों पर गोलीबारी की जा रही थी।

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एमनेस्टी ने मुस्लिमों के खिलाफ गैर-कानूनी कार्यवाही रोकने को कहा

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में मुस्लिमों के घरों, कारोबारों और आस्था के स्थलों के व्यापक और गैरकानूनी विध्वंस को जल्द से जल्द रोकने का आह्वान किया है। एमनेस्टी द्वारा 7 फरवरी को दो रिपोर्ट ज़ारी की गई। पहली, ‘इफ यू स्पीक अप, योर हाउस विल बी डेमॉलिश्ड: बुलडोज़र इनजस्टिस इन इंडिया’ (अगर आप आवाज़ उठाएंगे, तो आपका घर गिरा दिया जाएगा: भारत में बुलडोजर अन्याय) व दूसरी रिपोर्ट ‘अनअर्दिंग एकाउंटेबिलिटी: जेसीबीज़ रोल एंड रेस्पॉन्सिबिलिटी इन बुलडोज़र इनजस्टिस इन इंडिया’ (भारत के बुलडोजर अन्याय में जेसीबी की भूमिका और जिम्मेदारी) है।

एमनेस्टी की रिपोर्ट में बताया गया कि,अप्रैल और जून 2022 के बीच पांच राज्यों में सरकारी अधिकारियों ने सांप्रदायिक हिंसा या भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद ‘सजा’ के तौर पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है।

रिपोर्ट में एमनेस्टी ने 128 घटनाओं के बारे में बताया है, जिसमें जेसीबी कंपनी के बुलडोज़र के इस्तेमाल के कम से कम 33 उदाहरण शामिल हैं। बताया गया कि इन कार्रवाइयों के चलते 617 व्यक्ति प्रभावित हुए हैं जो या तो बेघर हो गए या अपनी आजीविका गंवा बैठे हैं।

यह भी कहा कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश में ‘सजा के तौर’ पर सबसे ज़्यादा 56 बुलडोज़र कार्रवाइयां हुईं हैं।

देश भर में पिछले कुछ समय में ‘अवैधीकरण’ के नाम पर मुस्लिमों के मदरसे,घर और उनसे जुड़ी चीज़ों को तोड़ा गया है। यह सिलसिला अब भी ज़ारी है मानों यह आदेश पारित हुआ हो कि मुस्लिमों से जुड़ी चीज़ों को अवैधीकरण बताकर उन्हें अदृश्य कर दिया जाए।

 

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