नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपिशोड में आपका स्वागत है। परदेश से कमाकर लौटा युवक जुएं में 10 हजार रुपए हार गया। इससे परेशान होकर उसने गमछे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खुशहाल जिंदगी बर्बाद कर रही है जुए जैसी बुरी लत। दोस्तों चलो इस बार के शो में जुआ खेलने पर जिसको आप लोग लतरी भी बोलते हैं। ये खेल वैसे तो साल भर खेला जाता है लेकिन दीपावली के समय सबसे ज्यादा लोग खेलते हैं जुआ।
मैं बचपन से इस खेल को देखती आई हूँ की गावों के हर गली मोहल्ले या पेड़ो के नीचे आदमियों का झुण्ड जुआ खेलते हुए मिल जाते हैं। जब हम रिपोर्टिंग करने के लिए जाते हैं तब भी बहुत सारे लोग मिलते हैं। कई जगह तो हमको देख कर आदमी लोग जुआ खेलना बंद करके खड़े हो जाते हैं या फिर तम्बाकू मलने लगते हैं या फिर हंसने लगते हैं और कहेगें बहन जी हमारी फोटो तो नहीं निकाली हो। अगर निकाली हो तो डिलीट कर देना। आदमियों को बहुत मजा आता है इस खेल में। ये खेल पैसे लगा कर खेला जाता है बहुत से लोग काफी पैसे जीतते हैं, और बहुत से लोग हार जाते हैं। जीतने वालों की बल्ले बल्ले हो जाती है, और जो हारता है उसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है न। आप सब जानते होगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इस जुआ के खेल से घर की औरतें कितना परेशान हैं और क्यों।
ये भी देखें – बाँदा : त्योहारों पर जुआ खेलने का शौक महिलाओं को डाल रहा आफत में
हमारे जहन में ये बात आई और हम निकल पडे महिलाओं की राय जानने की उनके घर के मर्द जुआ खेलते हैं तो उसका क्या असर है। दोस्तों महिलाओं ने बताया कि उनके पति उनका बचा कर रखा हुआ पैसा, सोना चांदी के जेवर और घर गृहस्थी का सामान तक बेच कर जुआ खेलते हैं। अगर वो सामान ले जाने से रोकते हैं तो गालियाँ देते हैं, मारते हैं जिसकी वजह से कयी कयी दिनों तक खाना तक नहीं बनता है घरों में. उनके बच्चे भी इस स्थिति को झेलते हैं। उनके घर की चोरी कोइ और नहीं उनके घर के मर्द घी करते हैं। घर में जब पैसे की तंगी आ जाती है तो महिलाएं मजदूरी करने जाती और जो मजदूरी का पैसा मिलता है उसी से घर खर्च चलाती हैं लेकिन उस बाद भी पुरुष मजदूरी का पैसा भी चुरा कर ले जाता है. इस जुएँ के खेल से महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से काफी परेशान हैं, लेकिन ये मुद्दा कभी भी चर्चा का विषय नहीं बनता है।
ये भी देखें – बाँदा : ‘ऐसा न्याय दिलाएंगे कि जिंदगी भर याद करोगी’, पुलिस पर पीड़िता ने लगाया आरोप
मैं कई ऐसे परिवार को जानती हूं जिनके पति जुआ खेले और हार गये। फिर कर्ज हो गया. कर्ज भरने के लिए या फिर उनको अपनी जायदाद बेचनी पड़ी या फिर पलायन करना पड़ा। जुआ का खेल ऐसा लत है कि जिनके घर में पैसे नहीं है वो भी खेलता है और वो पैसा कहां से पाता है? गांव के जो जमीदार होते है. पैसे वाले लोग ब्याज लगा कर पैसा देते है और जुआ खिलवाते हैं, और बाद में ब्याज लगाकर रूपया भरवाते हैं। और लोग जकदते जाते हैं कर्ज में। आत्म हत्या तक कर लेते हैं लेकिन ये खेल कैसे फल फुल रहा है अरे किसको रोकने की कोशिश करिये। सरकार और पुलिस को इसमें ठोस कदम उठाना होगा। महिलाएं अपने ही घर के अंदर कितना घुट रही हैं इसको महसूस करना होगा।
ये भी देखें – यूपी : खून से लथपथ नाबालिग मांगती रही मदद, आस-पास खड़े पुरुष बनाते रहे वीडियो, सामूहिक बलात्कार का है आरोप
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’