केंद्र सरकार ने करीब तीन साल की देरी के बाद अंतत: किसान आत्महत्या के आंकड़े जारी कर दिए हैं |
बीते शुक्रवार (8 नवम्बर )को केंद्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने रिपोर्ट जारी कर इस बात की पुष्टि की कि साल 2016 में कुल 11,379 किसानों ने आत्महत्या की थी| साथ ही ये आंकड़ेये भी बता रहें है की पिछले साल हिसाब से ये आकड़े कम हुए है |
लेकिन अगर उत्तर प्रदेश या फिर बुंदेलखंड की बात की जाय तो आत्महत्या के केस आये दिन सुनने को मिलते है |
आपको बता दें की ये आकड़े 2016 के है 17, 18 और 19 के आकड़े तो अभी आने बाकी ही है| हमने जानने की कोशिश की के आखिर किसानो को आत्महत्या करने की जरुरत क्यों होती है| क्योकि सरकार ने तो कई योजनाए किसानो के लिए लागू किये है | जैसे किसान फसल बीमा योजना खाद और बीज पर सब्सिडी और किसान कर्ज माफ़ी। लेकिन किसानो के अनुसार उन्हें फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं है जो फसल उगा भी ले तो अन्ना जानवरो से बचाना मुश्किल है | सरकारी योजनाएं भी 50 प्रतिशत किसान को ही मिल पाते है|
बैंक के कर्ज बच्चों की परवरिश और बाजार में अनाज का उचित दाम न मिलना उनकी आत्महत्या का मुख्य कारण है|
अगर किसान आत्महत्या पर रोक लगानी है तो पहले उन्हें उनकी समस्याओं को ख़तम करना होगा न की आंकड़ों को छुपाना।
भारत में किसान आत्महत्या कर रहे हैं इसके कई कारण हैं। मुख्य कारणों में से एक देश में अनियमित मौसम की स्थिति है। ग्लोबल वार्मिंग ने देश के अधिकांश हिस्सों में सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की स्थिति पैदा की है। ऐसी चरम स्थितियों से फसलों को नुकसान पहुंचता है और किसानों के पास खाने को कुछ नहीं बचता। जब फसल की उपज पर्याप्त नहीं होती तो किसान अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने पर मजबूर हो जाते हैं। ऋण चुकाने में असमर्थ कई किसान आमतौर पर आत्महत्या करने का दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाते हैं।