खबर लहरिया क्षेत्रीय इतिहास गोदना, रिवाज या शोषण? बोलेंगे बुलवाएंगे शो

गोदना, रिवाज या शोषण? बोलेंगे बुलवाएंगे शो

हमीरपुर के लोगों का मानना है कि आज से 20 साल पहले ज़्यादातर महिलाओं के नाक, कान, हथेली और पैरों में गोदना मिलता था। गोदना गुदवान इसलिए भी खास माना जाता था क्योंकि इसका अर्थ है, मृत्यु के बाद साथ में यही एक गोदना था जो साथ जाता था।  यही परम्परा आज भी कायम है लेकिन देखा जाए तो कहीं न कहीं ये चीज फैशन में बदल गई है।

गोदना के बारे में इस आर्टिकल में पढ़ें –

लुप्त होती गोदना परंपरा अब शहरों में है “टैटू” के नाम से मशहूर

 

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