खबर लहरिया चित्रकूट कमजोरों को गाय देकर किया जा रहा और भी कुपोषित- शिवदयाल सिंह

कमजोरों को गाय देकर किया जा रहा और भी कुपोषित- शिवदयाल सिंह

चित्रकूट : देश के अति पिछड़े जिले में जाना जाने वाला चित्रकूट में कुपोषण बड़ी समस्या है। उसके निजात के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पोषण माह में कुपोषित बच्चों के परिवार को एक-एक गाय देने की योजना बनाई है ताकि कुपोषित बच्चे को गाय का दूध पिलाकर स्वस्थ किया जा सके। जिले में 2297 अतिकुपोषित बच्चों के अभिभावकों को गाय देने के लिए मनाया गया और पहाड़ी ब्लाक के खरसेंडा गांव में डीएम शेषमणि ने कार्यक्रम करके दो अतिकुपोषित बच्चों के परिवारों को गाय दी।

बुंदेलखंड में कुपोषण के साथ एक और विकराल समस्या अन्ना गोवंश की है। सरकार की मंशा है कि गोशाला में बंद दुधारू गायों को यदि इन परिवारों ने पाल लिया तो दूध पीने से बच्चों की सेहत ठीक होगी ही और अन्ना पशुओं से भी कुछ निजात मिलेगी। हालांकि यह काम उतना आसान नहीं है जितना शासन और प्रशासन सोच रहा है।

वैसे सरकार भरण पोषण के लिए प्रति गाय हर माह नौ सौ रुपये उस परिवार को देगी जो गाय को पालेगा। आइये थोड़ा बात करें इस अभियान के सच्चाई की। खरसेंडा गांव के उन दो परिवारों से हम मिले जिनको डीएम शेषमणि पांडेय ने गायें दी थी। हमसे बात करते हुए वह बहुत भड़क उठे। बोले कि उनके पास खुद ही पहले से भैस है। उनको दूध की कमी नहीं है। एक एक्ट्रा खर्च है बढ़ गया है। फिर यह गाय दूध भी तो नहीं देती है। दूसरे परिवार से जब मिले तो वह गाय भी दूध नहीं देती।

मतलब कि बच्चे कैसे दूध पी पाएंगे और सुपोषण हो पाएंगे जब गायें दूध ही नहीं दे रहीं। अब उनको अगर गाय का दूध खाना है तो बच्चा देने तक का इंतजार करें। परिवारों ने यह भी कहा कि डीएम ने बोला था कि प्रति गाय हर महीने नौ सौ रुपये मिलेंगे लेकिन आज तक एक रुपये नहीं मिला। हां गायों के लिए फायदा हुआ है कि जो कुपोषित थीं वह सुपोषित हो गईं हैं।