खबर लहरिया ताजा खबरें क्या किसी बच्ची के रेप पर जातिवाद होना चाहिए? देखिये द कविता शो 89

क्या किसी बच्ची के रेप पर जातिवाद होना चाहिए? देखिये द कविता शो 89

नाबालिक बच्चियों के साथ रेप के मामले एक के बाद एक बढ़ते जा रहे हैं अलीगढ में दो साल की मासूम बच्ची को 10 हजार रुपए के विवाद में हत्या कर दी गई बच्ची को न्याय दिलाने के लिए लोग सडको में उतर आये हैं आम जनता से लेकर फिल्मी दुनिया के सितारों ने लडकी के हत्यारों को फासी की सज़ा की मांग की हैं अभी 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है आज कल शोशल मीडिया रेप केस की चर्चा से भरा हैं बहुत ही टीस हो रही है गुस्सा आ रही है इन रेप केस और हत्या के मामलो को सुन कर अलीगढ़ का मामला ठंडा नहीं हुआ की जबलपुर में कल एक चार साल की बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया है

इसके पहले पिछले साल में कश्मीर के कठुआ में 4 साल की बच्ची को रेप के बाद हत्या कर दी गई थी बुन्देल खंड में भी पिछले पाच सालो में 5 साल की बच्ची से लेकर 12 साल 15 साल की नाबालिक लडकियों के साथ में रेप और हत्या के केस हुए हैं.लेकिन बहुत सारे केस अभी फाईल में ही तब्दील हैं.

ख़ैर में अब में दो केस पर अभी ज्यादा बायत करना चाहती हूँ क्योकि अब यह दोनों रेप और मर्डर केस धर्म में बट रहें हैं लोग न्याय की बात न करके हिन्दू और मुसलमान बात करना शुरू कर दिए हैं अरे लानत हैं ऐसे लोगो की सोच पर जो इतने सम्बेद्नशील मामले को और उकसाने में लगे हैं अलीगढ़ हत्या केस मामला में पुलिस जांच पूरी हो चुकी है पुलिस ने आरोपी जाहिद और असलम पर पॉक्सो एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) की कार्रवाई की है।, सरकार ने मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित करवाने का फैसला किया है। जाहिद का बच्ची के दादा से 10हजार रुपए के लेनदेन को लेकर विवाद था।

2 जून की सुबह बच्ची का शव कूड़े के ढेर में क्षत-विक्षत हालत में मिला था। तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा शव का पोस्टमार्टम कराया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची की एक किडनी, पेशाब की थैली और प्राइवेट पार्ट गायब मिला है।

 

 

पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी. 10 जून को 7 आरोपियों में से 6 को दोषी करार दिया है, जबकि एक आरोपी विशाल को बरी कर दिया है. कठुवा रेप और हत्या के आरोपियों के अब जरा नाम भी सुन लीजिये पाठांन कोर्ट ने जिन लोगों को दोषी करार दिया है उनमें सांजी राम आनन्द दत्ता परवेश कुमार दीपक खजुरिया सुरेन्द्र वर्मा और तिलकराज शामिल हैं पुलिस और कोर्ट की कार्यवाही अब इन दोनों केसों अलीगढ़ और कश्मीर के कठुवा में जो पिछला केस हैं दोनों को अब धर्म से जोड़ा जा रहा है क्योकि अलीगढ़ में दो साल की बच्ची हिन्दू समाज की है और आरोपी मुसलमान समुदाय से हैं

इसी तरह से कठुवा केस में लडकी मुसलमान समुदाय की है और जो दोषी करार दिए गये हैं ओ है सारे के सारे हिन्दू हैं जून में अलीगढ़ की मासूम बच्ची की दर्द नाक हत्या कर दी गई और 10 जून को कठुवा केस में कोर्ट का फैसला आ गया अब दोनों केस शुर्खियो में हैं अब रेप और हत्या के मामले को छोड़ कर सिर्फ हिन्दू और मुसलमानों पर बात क्यों हो रही हैं लोग कह रहे की कठुवा में तो लडकी के साथ रेप ही नहीं हुआ था तो आरोपियों को सजा किस बात की तो वही अलीगढ़ केस में आरोपियों के फासी के सजा की माग हो रही हैं

अरे मेरे समझ में नहीं आ रहा हैं की ये समाज कितनी घिनौनी बात कर रहा है दोनों मासूम बच्चियां थी जिनको रेप किया गया धार दार हथियारों से मारा गया ये बच्चिया कितना चीखी होगी कितना चिल्लाई होगी रेप के दौरान कितना दर्द झेली होगी. इनके आत्मा की शान्ति की बात न करके इनको न्याय दिलाने की मांग न करके आप लोग इन केसों को हिन्दू और मुसलमानों में क्यों बाट रहे हो .

अरे अपराध तो अपराध है उसका आरोपी चाहे हिन्दू हो या मुसलमान इन केसों में कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चहिये और ऐसी सजा ताकि अब दुबारा ऐसे काण्ड करने से लोग डरे जहा पर ऐसी घटनाएं होती हैं वहा के लोग चाहे हिन्दू हो या मुलमान वो इस तरह की टिप्पड़ी नहीं करते हैं दोनों समुदाय सिर्फ और सिर्फ न्याय की मांग करते हैं लेकिन इलाके से दूर बैठे लोग शोशल मीडिया पर ऐसे सम्बेद्नशील मामलो में टिप्पड़ी करते हैं ताकि हिंसा भडके लोग एक दुसरे के साथ मरे कटें दंगे हो आखिर क्यों लोग सीधे तौर पर बात नहीं कर रहे हैं क्यों हर केस राजनीति में बदल जाता है वो बलात्कार बहुचर्चित होता जिसमें हिन्दू मुस्लिम रहता है।वो बलात्कार बहुचर्चित होता जिसमें सवर्ण दलित रहता है।वो मर्डर बहुचर्चित होता जिसमें हिन्दू मुस्लिम रहता है।वो मर्डर बहुचर्चित होता जिसमें सवर्ण दलित रहता है।

बाकी सब ठीक ठाक रहता है.एडजस्ट हो जाता है लगभग या फिर ढकाई लीपाई पुताई हो जाती है। थाना में केसों में समझौते क्यों हो जाते हैं . जिसके साथ ऐसी घटना हो जाती है.उसको इंसाफ मिला नहीं मिला.किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।आजतक किसी को कोई फर्क पड़ा क्या??