पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या करने का आरोपी ऋषिकेश देवडीकर आखिरकार गिरफ्तार हो गया है। गौरी की हत्या की तफ्तीश कर रही एसआईटी टीम ने फरार चल रहे 44 वर्षीय ऋषिकेश को 9 जनवरी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। बता दें कि एसआईटी ने ऋषिकेश को झारखंड के धनबाद जिले के कतरास से गिरफ्तार किया है।
सुराग और सबूतों की तलाश में उसके घर की तलाशी ली जा रही है। उसे कल न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। वह मुख्य रूप से गौरी लंकेश की हत्या की साजिश में शामिल था। बता दें कि पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब तक एसआईटी ने 16 लोगों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। गौरी लंकेश को कट्टर हिंदूवादी संगठनों से धमकियां मिल रहीं थी।
पहचान छुपा कर रह रहा था आरोपी
जानकारी के मुताबिक गौरी हत्याकांड का आरोपी ऋषिकेश कतरास के व्यवसायी प्रदीप खेमका के पेट्रोल पंप में पहचान छुपा कर रह रहा था। उसे बेंगलुरु की एसआईटी ने छापेमारी कर धरदबोचा है।
कौन थी गौरी लंकेश?
नक्सलियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थी गौरी लंकेश। 1962 में जन्मी गौरी ने पत्रकारिता की शुरुआत बैंगलुरू में एक अंग्रेजी अखबार से की थी। यहां कुछ समय काम करने के बाद वो दिल्ली चली गईं। दिल्ली में भी कुछ साल काम करने के बाद वो दोबारा बैंगलुरू लौट आईं और यहां 9 साल तक संडे नाम की मैग्जीन में काम किया। पत्रकार होने के साथ गौरी एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं।
गौरी के पिता पी लंकेश कन्नड़ में ‘पत्रिका’ नाम से एक साप्ताहिक पत्रिका निकालते थे। पिता के निधन के बाद गौरी इसकी संपादक बनीं।लेकिन साल 2005 में नक्सलियों से जुड़ी एक खबर के चलते गौरी ने “पत्रिका” छोड़ दी। इसके बाद 55 साल की गौरी ‘लंकेश ने अपना खुद की साप्ताहिक कन्नड़ गौरी पत्रिका निकालनी शुरू की।
इस पत्रिका के ज़रिए उन्होंने ‘कम्युनल हार्मनी फ़ोरम’ को काफी बढ़ावा दिया। उनकी विचारधारा, लेखों और भाषणों पर अक्सर उन्हें हत्या की धमकियां मिलती रही हैं। और 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहते हैं कि भगवान् के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं और इतने दिनों बाद आखिरकार गौरी लंकेश को न्याय मिला है