बिहार के गांव में गेहूं को 1 साल तक सुरक्षित रखने के लिए मरकुल्ला बनाया जाता है। वैशाली जिले के अमर जीत गांव में लोगों ने अपने घर के बाहर खुले मैदान में बांस और पयार से एक झोपड़ी बना रखी है। बात करने पर गांव की महिलाओं ने बताया कि यह आपको हर घर में मिलेगा। यह किसान जब खेत से गेहूं को काटते हैं तो उसके बाद में गेहूं को बोरे में सिलकर 6 महीने से साल भर के लिए इस मरकुल्ला में रख देते हैं। यह जो बांस की झोपड़ी बनी है इसको हम लोग मरकुल्ला बोलते हैं।
इसको बनाने के लिए एक मिस्त्री को बुलाते हैं जिससे वह बास लगाकर काश के द्वारा बनाते हैं यह 3 साल तक टिका रहता है 3 साल के बाद हम को फिर से नया बनवाना पड़ता है बांस कभी महंगा और कभी सस्ता भी मिल जाता है। गेहूं काटकर बोरे में सिल कर फिर इसको रखा जाता है इसके ऊपर जो ढकी तिरकुला है। उसको दो बांस से उठाते हैं और हटा देते हैं फिर एक व्यक्ति बोरा देता है और एक व्यक्ति सीढ़ी लगा के ऊपर चढ़ता है और उस बोरे को उस में डालते हैं।
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नीचे पहले भूसा डाला जाता है बीच में गेहूं को और फिर ऊपर से भूसा ताकि भूसे में कोई कीड़ा ना लगे चूहा नहीं काटे और गेहूं में घुन नहीं लगे। इससे गेहूं पूरे साल भर के लिए सुरक्षित बना रहता है और जब गेहूं को निकाल लेते हैं तो भूसा जानवर के खाने के काम आता है। इसमें भूसा रखने से इधर-उधर फैलता नहीं है घर के अंदर नहीं रख सकते इसको नहीं तो कीड़ा लग जाएगा भूसा भी खराब हो जाता है।
बरसात में भी यह इसी तरह बनी रहती है क्योंकि ऊपर का जो बना रखा है उससे पानी आराम से निकल जाता है उसके अंदर पानी नहीं जा पाता और छोरी कभी कोई डर नहीं रहता है क्योंकि यहां हर घर में आपको यही मिलेगा इसी तरह हम लोग अपने गांव में गेहूं को सुरक्षित रखें रहते है।
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