कोई कहता ‘शायद गोल टावर बन रहा है’ तो कोई सोचता कि ‘सरकार इतना पैसा खर्च कर रही है पर फायदा क्या होगा?’ लेकिन जैसे ही यह तैयार हुआ और जनता के सामने आया तो सबने जाना कि यह ‘बापू टावर’ है। गांधीजी के जीवन, विचार और संघर्ष की याद दिलाने वाला स्मारक।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – मीरा देवी
पटना: आज 2 अक्टूबर है मतलब गांधी जयंती का दिन। अहिंसा और सादगी के प्रतीक बापू की याद में पटना शहर में खड़ा है बापू टावर। आइए, इस खास मौके पर जानते हैं इसकी कहानी। बिहार की राजधानी पटना में बना ‘बापू टावर’ इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। महात्मा गांधी को समर्पित यह विशालकाय टावर न केवल एक स्थापत्य की दृष्टि से अद्वितीय संरचना है, बल्कि यह इतिहास, शिक्षा और मनोरंजन का संगम भी है। 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया और इसके बाद से यह आम जनता के लिए खोल दिया गया।
रहस्य से खुलासे तक
जब यह टावर बन रहा था तब स्थानीय लोग और ऑटो चालक इसे देखकर अंदाजा नहीं लगा पाते थे कि आखिर इसकी रूपरेखा क्या होगी। कोई कहता ‘शायद गोल टावर बन रहा है’ तो कोई सोचता कि ‘सरकार इतना पैसा खर्च कर रही है पर फायदा क्या होगा?’ लेकिन जैसे ही यह तैयार हुआ और जनता के सामने आया तो सबने जाना कि यह ‘बापू टावर’ है। गांधीजी के जीवन, विचार और संघर्ष की याद दिलाने वाला स्मारक।
प्रवेश और टिकट की व्यवस्था
बापू टावर में प्रवेश के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है।
– गेट नंबर 3 पर टिकट काउंटर है।
– गेट नंबर 8 से प्रवेश और गेट नंबर 2 से बाहर निकलने का मार्ग है।
टिकट फीस भी इस तरह तय की गई है कि हर वर्ग यहां आ सके:
– दिव्यांग, 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग और 25 से अधिक लोगों वाले छात्रों के लिए निःशुल्क
– 5 से 10 साल तक के बच्चे के लिए निःशुल्क
– 10 से 12 साल तक की उम्र के लिए मात्र 10 रुपए
– वयस्क के लिए 50 रुपए
छात्रों का उत्साह, फिल्म और प्रदर्शनी
कमला नेहरू मिलर हाई स्कूल की छात्राएं रोशनी और पुनीता ने बताया कि वे यहां आने के लिए बहुत उत्सुक थीं। करीब 70 से 75 बच्चे अपने शिक्षकों के साथ टावर घूमने आए।
– पांचवें फ्लोर पर पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि 3 बजे गांधी जी पर आधारित मूवी शुरू होगी।
– 120 कुर्सियों वाले हॉल में दर्शक आराम से बैठे और 15 मिनट की फिल्म देखी। यह फिल्म गांधी जी के जीवन की यात्रा, उनकी शादी, विदेश यात्रा और स्वतंत्रता संग्राम के अध्याय को अद्भुत अंदाज़ में दिखाती है।
– खास बात यह रही कि कुर्सियां धीरे-धीरे घूमती थीं और चारों तरफ परदे लगे थे जिससे दर्शक हर ओर से एक जैसा नज़ारा देख सकें।
फोटो प्वाइंट और अनुभव
ऊपरी मंजिल पर प्रदर्शनी और फोटो प्वाइंट बने हैं।
– गांधीजी से जुड़े चित्र, मूर्तियां और डिजिटल डिस्प्ले दर्शकों को आकर्षित करते हैं।
– स्कूल के बच्चे यहां सेल्फी लेते और हंसते-खेलते नज़र आते हैं।
– दानापुर से आए संतोष कुमार अपने बच्चों के साथ यहां घूमने थे। उनका कहना था कि “जब तक बच्चे देखेंगे नहीं, समझेंगे नहीं, तब तक इतिहास से जुड़ नहीं पाएंगे। सरकार का यह कदम काबिल-ए-तारीफ है।”
बुजुर्गों का जुड़ाव
बक्सर से आई प्रेमलता देवी गांधी जी के चरखे को देखकर पुरानी यादों में खो गईं। चरखे को छूने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि “यह देखकर मुझे अपने जीवन की यादें ताज़ा हो गईं। गांधी जी के विचारों और काम को इतने करीब से देखना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”
गांधीजी और बिहार का रिश्ता
गांधी जी का बिहार से जुड़ाव गहरा रहा है।
– 1917 में चंपारण सत्याग्रह ने भारत की आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी।
– पटना कई सभाओं और आंदोलनों का केंद्र रहा, जहां से स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियां बनीं।
बापू टावर इन्हीं ऐतिहासिक क्षणों और गांधीजी के योगदान को आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत करता है।
बापू टावर अब केवल एक स्मारक नहीं बल्कि पटना का ‘टूरिस्ट हॉटस्पॉट’ बन गया है। बच्चों को शिक्षा, युवाओं को प्रेरणा और बुजुर्गों को भावनात्मक जुड़ाव देने वाला यह टावर बिहार की जनता के लिए गर्व की बात है। यहां का हर कोना इस बात का प्रमाण है कि गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों को दिशा दे रहे हैं।
अगर आप घूमने आएं तो यह जानकारी आपके लिए है:
बापू टावर तक कैसे पहुंचे
– रेलवे स्टेशन से: 15-20 मिनट (ऑटो/टैक्सी से)
– एयरपोर्ट से: 8-10 किमी दूरी
– लोकल ट्रांसपोर्ट: ऑटो और ई-रिक्शा उपलब्ध हैं।
बापू टावर : समय और टिकट
– खुलने का समय: सुबह 10:00 बजे – शाम 6:00 बजे
– टिकट खर्च :
– दिव्यांग, 70+ बुजुर्ग, 25+ सदस्यों वाले समूह – निःशुल्क
– बच्चे (5-10 वर्ष) – निःशुल्क
– 10-12 वर्ष – ₹10
– वयस्क – ₹50
बापू टावर के अंदर मुख्य आकर्षण
– गांधीजी के जीवन पर आधारित 15 मिनट की मूवी (फिल्म हॉल, 120 सीटें, घूमने वाली कुर्सियां)
– गांधी जी के जीवन से जुड़ी तस्वीरें, मूर्तियां और डिजिटल डिस्प्ले।
– इंटरैक्टिव प्रदर्शनी: इसका मतलब जहां छूकर और टच स्क्रीन से जानकारी मिलेगी।
– ऊपरी फ्लोर से पटना शहर का पैनोरमिक दृश्य मतलब चारों ओर का खुला नज़ारा देख सकते हैं।
– फोटो पॉइंट और सेल्फी ज़ोन भी है।
बापू टावर पर सुविधाएं
– हर फ्लोर पर बैठने की और पीने के पानी की व्यवस्था।
– बच्चों और बुजुर्गों के लिए लिफ्ट।
– प्रदर्शनी गाइड की आवश्यकता नहीं। सब डिजिटल जानकारी उपलब्ध।
आसपास घूमें
– गांधी मैदान (3 किमी)
– गोलघर
– पटन देवी मंदिर
– बिहार म्यूज़ियम
विशेष सुझाव और सावधानियां
– भीड़ से बचने के लिए सुबह या दोपहर का समय चुनें
– बच्चों को जरूर साथ लाएं – यह शिक्षा और मनोरंजन दोनों का अनुभव देगा
– गेट नंबर 3 से प्रवेश कर सीधे टिकट लें और अंदर जाएं
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