जिला चित्रकूट ब्लाक मऊ गांव खण्डेहा मजरा लावेद में गल्ला मंडी तो बनी है पर अभी तक उसे चालू नहीं किया गया है। सरकार की तरफ से बजट तो खर्च हुआ पर किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला। दस बीघा ज़मीन में बनी इस मंडी से किसानों को कोई फायदा नहीं है। सिर्फ सरकार की तरफ से बजट खर्च हुआ है, यही पैसा गरीब किसानों को मिला होता तो उन्हें कुछ राहत होती। या तो अगर किसानों को ये ज़मीन फसल उगाने के लिए मिल जाती तो राहत होती पर ये मंडी बनने से कोई फायदा नहीं है।
कई साल बीत गए मंडी बने और अब ये पूरी तरह से जर्जर हो रही है पूरे जिले की स्थिति एक ही जैसी है, किसान इधर उधर गल्ला बेचने के लिए भटकते रहते हैं, कुछ किसान किराया भाड़ा लगा के कर्वी जाते हैं। जो गांव मे मंडी बनाई गई है वो एकदम जंगल मे बनाई गई है, कम से कम वहां पुलिस के व्यवस्था हो तभी मंडी चल सकती है नहीं तो किसान इसी तरह परेशान रहेंगे। सरकार भी अपना बजट खर्च कर देती है और गरीब किसान को लाभ मिले या न मिले इसकी कोई जुम्मेदारी नहीं लेती। इस तरह से बजट खर्च करने का फायदा नहीं जब कोई उसका उपयोग ही न कर सके। एक मंडी मे लगभग करोड़ों रूपए खर्च किये गए होंगे।
चित्रकूट ज़िले में कई मंडी बनी है पर सब इसी हालत मे पड़ी हुई हैं। कुछ में अब गौशाला खुल गयी और कुछ मंडी बंन्द पड़ी हैं। जब बनी थी तब तो अच्छी पेन्ट पोताई हुई पर न खुलने की वजह सब खराब हो गया। कर्वी गल्ला के बाबू ओमप्रकाश का कहना है कि कहीं की भी मंडी नहीं खुली है, चित्रकूट मे 15-16 मंडी बनी थी और एक मंडी को बनाने में कम से कम पचास लाख का खर्चा आया था। ज़िले के बजट से भी एक करोड़ पांच लाख कुछ रूपये खर्च हुए हैं। साथ ही जो मंडी बनी है वहां दुकनदार पैसा लेकर बैठना नहीं चाहते। ये मंडी सपा सरकार के समय बनी थी और तब से ऐसी ही पड़ी है।