बिहार में जेडीयू और आरजेडी लगातार कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते रहे हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी 100वीं जयंती जोकि आज ही है, उससे एक दिन पहले मंगलवार 23 जनवरी को इसकी घोषणा की थी। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में इसकी जानकारी दी गई।
कौन थे कर्पूरी ठाकुर?
कर्पूरी ठाकुर बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे। वे बिहार में दो बार मुख्यमंत्री एक बार उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को हुआ था। उन्होंने दलित, शोषित और वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। कर्पूरी ठाकुर साल 1967 में पहली बार उपमुख्यमंत्री बने तथा 1970 में मुख्यमंत्री बने। उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ।
कर्पूरी ठाकुर का कार्यकाल
दिसंबर 1970 से जून 1971 तक
दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक
समाज के लिए किये काम
कर्पूरी ठाकुर ने नवंबर 1978 में बिहार में सरकारी सेवाओं में पिछड़ी जातियों के लिए 26 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया। इसके बाद 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के लिए मंडल आयोग की सिफारिशे लागू हुईं।
- 26 प्रतिशत आरक्षण मॉडल इन्हीं के द्वारा लाया गया, जिसमें ओबीसी समुदाय के पास 12 प्रतिशत आरक्षण था
- ओबीसी में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 8 प्रतिशत आरक्षण था
- महिलाओं को 3 प्रतिशत
- सवर्ण जातियों में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को भी 3 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली थी
- वह 1970 में जब सरकार में मंत्री बने तो उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा मुफ्त की थी
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