कोई भी इंसान अपने मन मुताबिक नहीं बन सकता, न कोई मां-बाप एक जैसी संतान पैदा कर सकता है। समाज में रहने वाला हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता, हर इंसान की कद काठी अलग-अलग होती है। कोई मोटा होता है, तो कोई पतला-दुबला, बहुत से लोग छोटे कद के होते हैं तो किसी की हाइट अच्छी होती है जिसे देखकर ही लोग कहते हैं इसे तो पुलिस में होना चाहिए।
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मोटे और छोटे इन्सान का तो खूब मज़ाक भी उड़ाया जाता है। पुरूष-महिलाओं में यहां भी फर्क दिखता है। महिला मोटी है उसे उठते बैठते हर समय ताने देते रहते हैं। कितनी मोटी है, खाती कितना होगी। हराम का खा खाकर मोटी हो गई है। काम धाम तो कुछ है नहीं क्या करे मोटी हो गई।
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यहां तक की अगर मोटी लड़की है और वह कुवांरी है तो लोग जल्दी रिश्ता नहीं करते। मोटी बोलकर लड़की देखने आए लोग चले जाते हैं। बाद में कहते हैं आप और कहीं देख लो। वहीं लड़का मोटा है तो लोग उसका मज़ाक भी उड़ाते हैं पर इतना नहीं जितना लड़कियों, महिलाओं को ट्रोल किया जाता है।
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