ललितपुर– पिछले कई वर्षों से कभी सूखा तो कभी बारिश की मार झेल रहे बुन्देलखण्ड के किसानों को राहत तो नहीं मिल रही है लेकिन उनकी मुसीबतों में बढ़ोत्तरी ज़रूर हो रही है। हम बात कर रहे हैं बुन्देलखण्ड के ललितपुर जिले में बने कचनौदा बांध परियोजना की। इसके अंतर्गत जिन किसानों की जमीनें ली गई थी, उसमें लोगों को अब तक सरकारी मुआवजा नहीं मिल पाया है। आधे से ज्यादा किसान अपनी जमीन की कीमत मांगने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। जिससे पीड़ित किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी लापरवाही की वजह से किसानों की जिंदगी दुश्वार होती जा रही है।
गाँव कल्यानपुरा, मजरा कंचनपुरा निवासी जालम का कहना है कि यह बांध 2008 में यह बाँध बना था। उसी समय हमारे मोहल्ले के लगभग 500 लोगों के मकान और जमीन चली गई है। पर उसका अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। हम लोग इधर-उधर भटक रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
तय रकम से कम मुआवज़ा मंजूर नहीं
स्थानीय निवासी महेश का कहना है कि सिंचाई विभाग वालों ने 5600 रूपये वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवज़ा देने की बात की थी पर अब हम लोगों को 3400 रूपये वर्ग मीटर के हिसाब से दे रहे हैं। हम लोगों के पुनर्वास का भी पैसा नहीं मिला है।
किसानों की जिन्दगी हुई बदरंग
कंचनपुरा निवासी कैलाश और गोकुल ने बताया कि हमारे गांव में लगभग 50 लोग ऐसे हैं जिनको बिल्कुल भी मुआवजा नहीं मिला है काफी परेशान हैं। कुछ लोगों के मकान चले गए तो रहने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। अगर मुआवजा मिल जाता तो हम लोग अपने रहने की कोई व्यवस्था कर पाते। छोटे-छोटे बच्चे हैं उनको लेकर कहाँ जायें? आखिर सरकार हम लोगों की सुनवाई क्यों नहीं कर रही है।
सरस्वती और सुहाग रानी का कहना है कि हम लोगों का पुनर्वास का पैसा भी नहीं मिला है पन्नियों के नीचे रह रहे हैं। पन्नियाँ गर्मी में इतना जलती हैं कि उसके नीचे थोड़ी देर भी नहीं बैठ सकते। इसी गाँव की हरबू ने बताया कि इतनी दिक्कत हूँ रही है की हम लोग रोड पर आ गए हैं। कई बार प्रयास किया पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। संजना का कहना है कि हम लोग चाहते हैं कि या तो हमें रहने के लिए सरकार मकान दे या फिर हमें पैसा दे जिससे जमीं लेकर हम कहीं और घर बना सके। मजदूरी करके अपना जीवन-यापनकर रहे हैं, इतना पैसा नहीं कि खुद की जमीन लेकर मकान बना सके।
बहादुर ने बताया कि वे अपने गाँव के लोगों के साथ कम से कम 10 बार ज्ञापन दे चुके हैं पर ना तो कभी जांच हुई ना ही कार्रवाई की गई। सिर्फ आश्वासन देते हैं कि जल्द ही मुआवज़ा मिलेगा। राकेश का कहना है कि हम लोगों का बहुत पैसा खर्च हो गया है। जो जगह थी वह सरकार ने ले लिया अब हम कहाँ से पैसे इकठ्ठा करें और हर हप्ते विभाग आये।
विभाग के आश्वासन में अटके हैं लोग
कपूरे का कहना है कि इस बांध में करीब 5 गांव गए हैं कंचनपुरा, टिकरा, रमेशरा, दैलवारा और भारौनी गाँव गये हैं। किसी की 1 एकड़ किसी की 2 एकड़ किसी की 10 एकड़ इस तरह से बांध में जमीन गई है। और कुछ लोगों को तो पैसा मिल गया। जिनका नहीं मिला है पूरा एक साथ नहीं दे सकते तो थोड़ा थोड़ा पैसा करके विभाग को देना चाहिए। पर विभाग वाले पता नहीं क्या चाहते हैं कि कोई सुनवाई ही नहीं कर रहे हैं।
दिनेश कुमार जिला अधिकारी ललितपुर का कहना है कि हमारे पास पहली बार शिकायत आई है। इसकी जांच करवाएंगे और सिंचाई विभाग को सूचित कर इसकी जांच भी करेंगे। जो लोग मुआवजा के लिए रह गये हैं प्रयास यही होगा कि उनको जल्द ही मुआवजा दिया जाए।