खबर लहरिया Blog Farmers Protest: ‘दिल्ली चलो’ किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली सहित कई जगहों पर 144 धारा लागू, दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर बड़ी सुरक्षा

Farmers Protest: ‘दिल्ली चलो’ किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली सहित कई जगहों पर 144 धारा लागू, दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर बड़ी सुरक्षा

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने पंजाब, यूपी, हरियाणा और दिल्ली पुलिस को अलर्ट जारी किया है, जिसमें उन्हें 25,000 से अधिक किसानों और लगभग 5000 ट्रैक्टरों के अनुमानित सामूहिक आंदोलन के बारे में सूचित किया गया है।

Farmers Protest 2024, Section 144 imposed in many places including Delhi regarding 'Dilli Chalo' farmers movement, huge security on Delhi-UP border

                                    हज़ारों की संख्या में किसान अपनी मांगो को रखते हुए ‘दिल्ली’ का रुख कर रहे हैं (फोटो – सोशल मीडिया)

13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’/’चलो दिल्ली’ के नारे के साथ हज़ारों किसान अपने ट्रैक्टरों सहित दिल्ली का रुख करेंगे, जिनकी कई मांगो में से एक मांग है फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाना। राजधानी में किसानों को आने से रोकने के लिए सीमाओं पर कीले गाड़ी जा रही हैं व भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि 200 से अधिक कृषि संघ 13 फरवरी को दिल्ली जाएंगे और केंद्र से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून सहित विभिन्न मांगों को संबोधित करने का आग्रह करेंगे।

2021 में भी किसानों ने अपना आंदोलन सिर्फ इस सहमति पर वापस लिया था कि उनकी मांगो को पूरा किया जाएगा। आज तीन साल बीत गए पर कुछ नहीं हुआ। कुछ न होने पर किसानों ने इस बार फिर बड़ी मात्रा में अपना गुस्सा जताते हुए अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया। यहां सरकार यह बात फिर से करती दिख रही है कि बात करके किसानों की समस्या का हल निकाला जायेगा, जो पिछली बार भी आंदोलन वापस लेने के समय सरकार द्वारा किसानों को कहा गया था। कल भी वही परिदृश्य था, आज भी वही है और इस बार किसान और भी मज़बूती से केंद्र को चुनौती दे रहे हैं।

बता दें, एमएसपी के लिए कानूनी आश्वासन के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की वकालत कर रहे हैं।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने कहा कि किसानों के 13 फरवरी को दिल्ली मार्च के आह्वान को देखते हुए पूरी दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है।

सोमवार को, केंद्रीय मंत्रियों की तिकड़ी दिल्ली की ओर विरोध मार्च की तैयारी कर रहे किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा में शामिल होगी। इस बीच, आगामी मार्च में शामिल होने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली के काफिले पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से अपनी यात्रा शुरू कर चुके हैं। वहीं किसानों की इस यात्रा को रोकने के लिए हरियाणा के अंबाला, जिंद, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में पंजाब के साथ राज्य की सीमा को मज़बूत कर दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, हरियाणा सरकार ने 15 जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ प्रदर्शन या मार्च पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि, ”किसान पूरे देश के लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हैं और सरकार उनका बहुत सम्मान करती है। किसान उन चार जातियों में से हैं जिनके बारे में पीएम मोदी बात करते रहते हैं। सरकार उनके बारे में बहुत गंभीर है और केंद्रीय मंत्री की भी उनसे मुलाकात हुई है। मुझे विश्वास है कि बातचीत से मसला सुलझ जाएगा।”

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कई जगहों पर 144 धारा लागू

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के दिल्ली मार्च से पहले दिल्ली पुलिस ने रविवार, 11 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली और पड़ोसी उत्तर प्रदेश से लगी सीमाओं पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की धारा 144 लागू कर दी है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने और कानून को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।

दिल्ली के शहादरा और गांधी नगर इलाकों में भी 11 मार्च तक 144 धारा लागू कर दी गई है ताकि किसी भी तरह की भीड़ को इकठ्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया जा सके। जानकारी के अनुसार, यह फैसला लगभग 200 किसान यूनियनों द्वारा प्रेस के लिए आयोजित ‘दिल्ली चलो’ मार्च से पहले आया है।

1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) किसी भी राज्य या क्षेत्र में कार्यकारी मजिस्ट्रेट को धारा 144 के तहत एक आदेश जारी करने का अधिकार देती है, जो एक निश्चित क्षेत्र में चार या उससे ज़्यादा व्यक्तियों की सभा को प्रतिबंधित करती है।

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दिल्ली पुलिस ने ज़ारी की एडवाइजरी

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी ट्रैफिक एडवाइजरी में कहा गया है, “13.02.2024 से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रस्तावित किसानों के विरोध के मद्देनजर, यातायात प्रभावित होगा। वाणिज्यिक वाहनों के लिए, 12.02.2024 से यातायात प्रतिबंध/डायवर्जन लगाया जाएगा।”

अपनी मांगे रखने पर किसान राष्ट्र-विरोधी कैसे?

जानकारी है कि हरियाणा के अधिकारियों ने कंक्रीट ब्लॉक, रेत की बोरियां, कंटीले तार लगाकर और सड़क पर दंगा-रोधी वाहनों को तैनात करके पंजाब के साथ राज्य की सीमा को बंद कर दिया है।

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस देश में एक किसान को राष्ट्र-विरोधी करार दिया जा रहा है। यह अस्वीकार्य है। हम इस देश के नागरिक हैं। हम अपनी मांगें रखने जा रहे हैं। पिछले 75 वर्षों से हमारी बात नहीं सुनी गई है।” यह सब इसलिए क्योंकि देश भर से करोड़ों किसान कल दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे।

‘दिल्ली चलो’ से पहले सोमवार को अमृतसर में उन्होंने कहा, “करोड़ों किसान अपनी मांगों पर दबाव बनाने के लिए बुलाए गए मार्च में शामिल होने के लिए कल मध्य प्रदेश, केरल, बिहार, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे।”

आंदोलन के लिए ट्रैक्टरों को किया गया है संशोधित

जानकारी है कि दिल्ली तक मार्च करने की योजना बना रहे किसानों ने कथित तौर पर बैरिकेड्स और बाधाओं को प्रभावी ढंग से पार करने के लिए अपने ट्रैक्टरों को उसी अनुसार संशोधित किया है। वहीं केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने पंजाब, यूपी, हरियाणा और दिल्ली पुलिस को अलर्ट जारी किया है, जिसमें उन्हें 25,000 से अधिक किसानों और लगभग 5000 ट्रैक्टरों के अनुमानित सामूहिक आंदोलन के बारे में सूचित किया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, इन ट्रैक्टरों को बैरिकेड हटाने के लिए,आंसू गैस के गोले झेलने, आग प्रतिरोधी हार्ड-शेल ट्रेलरों को झेलने के लिए तैयार किया गया है। इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन से पहले इन वाहनों का इस्तेमाल भी करके देखा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रैक्टरों की शक्ति को भी दोगुना किया गया है ताकि अधिक से अधिक प्रदर्शनकारियों को निश्चित क्षेत्र तक पहुंचाया जा सके।

किसानों द्वारा शुरू किये गए आंदोलन और उससे जुड़ी मांगों के पूरे होने का इंतज़ार करते-करते तीन साल बीत गए पर कुछ नहीं हुआ। कुछ न होने पर किसानों ने इस बार फिर बड़ी मात्रा में अपना गुस्सा जताते हुए अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया। यहां सरकार यह बात फिर से करती दिख रही है कि बात करके किसानों की समस्या का हल निकाला जायेगा, जो पिछली बार भी आंदोलन वापस लेने के समय सरकार द्वारा किसानों को कहा गया था। कल भी वही परिदृश्य था, आज भी वही है और इस बार किसान और भी मज़बूती से केंद्र को चुनौती दे रहे हैं।

 

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