किसान हमेशा से परेशान रहा है खराब मौसम से कभी सूखा कभी बारिश तो कभी पाला तो कभी ओलावृष्टि को लेकर पर। इन सब चीजों की मार झेलने के बावजूद भी किसान कभी हार नहीं मानता है। सरकार भी उनके घाव भरने के लिए कुछ ना कुछ राहत देती है पर उस राहत से किसान कब तक जीवित रहेगा। अगर आज की स्थिति हम देखें तो किसान बुरी तरह से टूटता जा रहा है, कोई भी किसान खेती के नाम पर खुश नहीं है।क्योंकि खेती में जितनी लागत लगती है उससे कई गुना ज्यादा नुकसान हो जाता है। जी हाँ हम बात कर रहे है 6 मार्च की रात को लगभग 8 बजे जिला चित्रकूट के कई गांव में बिन मौसम बारिस हुई है, जिसमे बारिस के साथ आँवला के बराबर ओलावृष्टि हुई है। जिसमे किसानों की सारी फसल टूट कर बर्बाद हो गयी है। जिसको देखकर किसान हताश हो गया है।
जिला चित्रकूट, गाँव मवई कला के इंद्रेश ने बताया कि उनकी किसानी में कई पीढ़ियां बीत गई, पर अगर आज की स्थिति देखें तो बहुत ही दयनीय है। क्योंकि कभी अति सूखा हो जाता है तो कभी अधिक बारिश होती है। जिसकी वजह से खेती नहीं कर पाते, और अगर थोड़ी बहुत हिम्मत करके खेती में बीज डाल देते हैं तो अन्ना जानवरों से नहीं बचती। हम तो बुरी तरह से परेशान हो चुके हैं, ऐसे लग रहा है कि किसान के नाम पर हम लोग एक नाकारा व्यक्ति साबित हो रहे हैं। क्योंकि पूरी साल खेती के भरोसे रहते हैं और बिन मौसम बारिश और ओलावृष्टि हो जाती है जिससे सारी फसल चौपट हो जाते है।
जिला चित्रकूट गाँव रेडी भुसौली के शिवनरेश का कहना है कि उसके पास 10 बीघा जमीन है जिसमें गेहूं चना मटर और सरसों बोया था। पर अभी ओलावृष्टि के कारण सारी फसल खराब हो गई है। किसी तरह से हमने रात रात भर जाग कर अन्ना जानवरों से फसल बचाई थी। पर अभी बिन मौसम बारिस और ओलावृष्टि ने हमारी पूरी साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। इस फसल की वजह से ना तो हम मजदूरी करने जा पाते हैं और ना ही कोई दूसरा धंधा कर सकते हैं। इसी खेती के सहारे रहकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं।
रेडी भुसौली की रहने वाली गीता कहती है कि 3 साल से लगातार सूखा पड़ रहा था, इस साल हमने मेहनत मजदूरी करके लोगो से कर्जा लेकर खेती बोई थी। थोड़ी अच्छी फसल दिख रही थी। तो बिन मौसम बरसात हो गई, साथ में ओलावृष्टि भी हुई है। सारी फसल टूट गयी है, अब वह खड़ी नही हो सकती है। सब सड़ जाएगी। सूख जाएगी। जब ज्यादा सूखा या पाला पड़ता है तो लेखपाल जांच के लिए आते है। पर इसबार तो कोई देखने भी नही आया।
रेडी भुसौली की माया का कहना है कि रात में 6 मार्च को रात में जोर से आधी पानी आया। आंधी पानी के साथ साथ जोर से बड़े बड़े ओला भी पढ़ने लगे। हमारे नदी के किनारे खेत है, कभी बाढ़ आ जाती है तो सारी फसल बह जाती है। किसी तरह से मजदूरी करके बच्चों का भरण पोषण तो कर लेते है। पर बच्चों की पढ़ाई या शादी ब्याह के लिए चिंता है कि कैसे पूरी होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ब्यान में कहा कि 1 से 6 मार्च के बीच हुई बिन मौसम बारिस और ओलावृष्टि होने से फसल खराब हुई है। उसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिसमे किसान अपनी समस्या बता सकता है। और तत्काल मुआवजा मिलने का प्रावधान किया है। पर वह सिर्फ 3 जिलों के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार यह बारिस और ओलावृष्टि सिर्फ 3 जिले में हुई है। जालौन, सोनभद्र और सीतापुर जिले प्रभावित हुए है। सबसे बड़ी बात ये है कि चित्रकूट जिले में अति ओलावृष्टि होने से किसान अपनी हालात पर आंसू बहा रहा है सरकार अपनी बातों में मस्त है।
किसान की दुर्दशा देखने मे भी तरस आ रहा है। राजनेता किसानों के कंधे में बंदूक रखकर गोली चलाने का काम कर रहे हैं। लोग कहते है जिसका खाओ उसी का चलाओ पर यहाँ तो कुछ और ही हो रहा है। खाया किसान का जाता है, और बाते राजनीति, हिन्दू मुश्लिम की जाती है। क्या इससे देश चलेगा। क्या ऐसे हमारे देश की दुर्दशा सुधरेगी। सरकार को चाहिए कि इस बारी की हुई ओलावृष्टि की जांच कराए और किसानों को मुआवजा दे। पर क्या हमारी सरकार ऐसा करेगी। क्या किसान की हालत सुधरेगी। या हमारे देश का किसान ऐसे ही आत्महत्या करता रहेगा। क्योंकि किसान और उसका परिवार तो खेती से ही जुड़ा हुआ है।
-सुनीता प्रजापति