बुंदेलखंड में इस बार बारिश की कमी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों की बेड तो तैयार है लेकिन धान की रोपाई नहीं हो पा रही है। हालत ये है कि बुंदेलखंड का बदहाल किसान अपनी ये व्यथा कहे भी तो किससे? ऐसे में किसानों ने खबर लहरिया से अपने विचार साझा किया की वह इस वक्त कितना मुश्किल में हैं।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में मानसून अन्नदाताओं से एक बार फिर रुठा नजर आ रहा है, क्योंकि बारिश ना होने से धान कि रोपाई और खरीफ की फसल की बुआई प्रभावित हो रही हैl जिसको लेकर किसान बहुत ही चिंतित हैंl किसानों का मानना है की बांदा जनपद में काफी मात्रा में धान की खेती की बुआई होती हैl धान के फसल के लिए तो ज्यादातर नर्सरी तैयार भी हो गई है पर अभी उस हिसाब की बारिश न होने से धान की फसल की बुआई प्रभावित हो रही हैl
बारिश ना होने के कारण किसानों के खेत सूखे पड़े हुए हैं और धान की फसल एक ऐसी फसल है जिसको सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती हैl खेतों को पानी से भरा रहना चाहिए और उसी तरह पानी से भरे खेत में किसान उस खेत की हल बैल या ट्रैक्टर से जुताई करते हैं और फिर धान की तैयार नर्सरी जिसको बेड कहते हैं उसको एक खेत से उखाड़ कर उस तैयार खेत में लगवाते हैंl
बड़ी मेहनत से तैयार हुई धान की नर्सरी
इस साल शुरुआती दौर से ही मानसून अच्छा नहीं दिखाl बारिश होती है लेकिन ना के बराबरl फिर भी किसान धान की नर्सरी तैयार करने में जोरों पर जुट गए थेl बहुत ही मेहनत के साथ खून पसीना एक कर के किसानों ने धान की नर्सनी तैयार की हैl जिसमें अधिक पैदावार देने वाले धान पंथ 12, सोनम और पंथ 24 प्रजाति का धान जो यहां के किसानों की पहली पसंद है उसकी नर्सरी अधिक मात्रा में किसानों द्वारा तैयार की गई हैl और अब तो कई अलग- अलग प्राजतियों के नये धान के बीज भी बाजार में आ गये हैं लेकिन नई प्रजातियों के धान वाले बीज अभी भी बहुत कम किसान पसंद करते हैंl जिन लोगों के नहर के पास खेत है वह तो फिर भी ठीक हैं लेकिन नहर से दूर वाले खेत तो सूखे पड़े हैंl इस लिए किसान बहुत ही चिंतित और परेशान नजर आ रहा हैl
धान का कटोरा क्षेत्र से प्रसिद्ध है अतर्रा क्षेत्र
नरैनी ब्लाक के गुढ़ाकलां गांव में रहने वाले किसान ओम प्रकास और रजवॎ बताते हैं कि बांदा जनपद का नरैनी और अतर्रा क्षेत्र धान का क्षेत्र माना जाता हैl इतना ही नहीं इस क्षेत्र को धान का कटोरा भी कहा जाता हैl यहां का किसान खरीफ के समय धान की बोआई ज्यादातर करता है, इस लिए शुरुआती दौर में मौसम अच्छा रहा तो बहुत खुशी होती हैl किसानों को उम्मीद जग जाती है कि पर्यावरण स्वच्छ है और मौसम अच्छा दिख रहा है तो पैदावार भी अच्छी होगीl इसी को देखते हुए किसानों ने तेजी से रातों दिन मेहनत करके धान की नर्सरी तैयार कर लीl अब नर्सरी तैयार होने के बाद बारिश ना होने से रोपाई ठीक से नहीं हो पा रही खेत सूखे पडे़ हैl साथ ही तिल और अरहर की बुआई भी प्रभावित हो रही हैl
डीजल की बढ़ती कीमत बनीं आफत
किसानों का यह भी कहना है कि बुंदेलखंड में खास तौर पर बांदा जिले में ही धान की परंपरागत अच्छी पैदावार होती है और यहां का देसी धान खाने में भी बहुत स्वादिष्ट और मीठा होता हैl जिसको अपने जिले के अलावा आस-पास के लोग भी खाने के लिए बड़े शौक से ले जाते हैंl कहने को तो हर साल मानसून 15 जून से आ जाता है और 15 जुलाई तक ज्यादातर बेड लग जाती थी, लेकिन इस साल धान रोपाई की स्थिति ठीक नहीं हैl जिससे किसान चिंतित हैंl महंगाई इतनी चरम पर है की हर महीने क्या कहें हर हप्ते डीजल के दाम बढ़ रहे हैंl ऐसे में डीजल की बढ़ती महंगाई को देखते हुए किसान यह सोच भी नहीं सकता की वह इंजन से खेतों में पानी भरकर फिर धान लगायेl
बारिश नहीं हुई तो कैसे होगी धान की रोपाई
रामचरन जो नरैनी ब्लाक के दशरथ पुरवा गांव के निवासी हैं उनका कहना है कि उनके गांव में धान की नर्सरी तो किसानों ने तैयार कर ली है लेकिन अब लोग बारिश होने का इंतजार कर रहे हैंl अभी तक उनके गांव में धान की रोपाई शुरू नहीं हुई क्योंकि जिस तरह से धान की रोपाई के लिए लबालब खेतों में भरा पानी होना चाहिए उस तरह की बारिश नहीं हुईl नहरों के पानी से जो धान की रोपाई होती है वह भी अभी नहीं हो पाई उसका कारण है कि जहां पर मेन नहर है वहां के किसान अपने खेतों की तरफ घुमा लेते हैं जिसके कारण आगे पानी ही नहीं आ पाताl और इस तरह से उनके गाँव तक पानी नहीं आ पाता, इसलिए उनके गांव में धान की रोपाई लेट हो पाती हैl
किसानों का कहना है कि अगर बारिश समय से हो जाए तो लोग समय से धान लगा सके और उसकी पैदावार अच्छी हो सकेl लेकिन किसान क्या करें उसको तो दोनों तरफ की मार झेलनी पड़ती हैl बुंदेलखंड का किसान वैसे भी दैवीय आपदा और सूखा से परेशान रहता है जिससे खेती किसानी के जरिए बहुत ही कम आगे बढ़ पाता हैl और कर्ज के बोझ तले दबता चला जा रहा हैl
मूंगफली की खेती पर भी पड़ रहा बारिश का असर
महोबा जिले के लाड़पुर गांव की किसान कुँवरबाई बताती हैं कि वह 30 सालों से खेती- किसानी का काम करती हैं लेकिन दो सालों से वह बारिश की कमी के कारण बहुत परेशान हैंl थोड़ी बहुत जमीन में मूंगफली बो दी है उनकी भी दिन रात रखवाली करनी पड़ती हैl खेत में ही मड़इया डाल कर रहती हैंl उनका कहना है की वह पंद्रह दिन से घर नहीं गई क्योंकि बारिश नहीं हो रही तो अभी अच्छे से फसल निकल नहीं पाईl जो निकली है वह जानवर खा ले रहे हैंl जिससे उनके किसानी में मुनाफा कम और घाटा ज्यादा हो रहा हैl
महिला किसान प्यारी बताती हैं कि महोबा जिला मूंगफली की खेती के नाम से काफी फेमस हैl इस खरीफ के सीजन में वहां मूंगफली उर्द मूंग और तिल की खेती ज्यादा होती हैl जिससे महिलाएं अपने खेतों में तो काम करती ही हैं पर दूसरों के खेतो में भी कर लेती हैं, लेकिन बारिश न होने से मजदूरी भी नही लग रही हैl यही एक समय है जब दूसरों के खेतों में धान लगाने की महिलाएं मजदूरी करती हैं और अपने घर का खर्च चलाती हैं, लेकिन अभी वह भी बंद हैl जिसके चलते महिलाएं बेरोजगार बैठी हैंl
रातों की नींद हराम किये हैं अन्ना जानवर-किसान
दैवीय आपदाओं के चलते पहले तो किसान को फसल तैयार करके घर लाने में ही रात दिन बहुत ही कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है क्योंकि अन्ना जानवरों से उस फसल को बचाना मुश्किल हो जाता हैl जिसमें दिन का चैन और रात की नींद हराम हो जाती हैl जब तक फसल घर नहीं आ जाती तब तक खेतों में रखवारी करनी पड़ती हैl जानवरों के पीछे दौड़ना पड़ता है वहां पर पेट भरने के लिए उस फसल को काटने में जान हथेली में लेकर के उस फसल की रखवाली करते हैंl
अगर किसी तरह फसल तैयार होकर घर आ भी गई, तो उसको बेचने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैंl और अगर बिक गया तो पैसे के लिए चक्कर कटने पड़ते हैं, या फिर प्राइवेट में औने पौने दामों में बेचते हैंl जिससे कई बार तो ऐसा होता है की जितनी लागत है वह भी नहीं निकल पातीl जैसे इसी साल धान रोपाई का समय जोरों पर है, लेकिन पानी ही नहीं है तो रोपाई कैसे होगीl और अगर समय रहते धान की रोपाई नहीं हुई तो अच्छी पैदावार होना मुश्किल है और यही चिन्ता किसानों को सता रही हैl
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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