खबर लहरिया Blog पटना: गरमा धान की खेती से किसानों को मिला लाभ, साल में दो बार कर रहे खेती

पटना: गरमा धान की खेती से किसानों को मिला लाभ, साल में दो बार कर रहे खेती

किसानों के लिए गरमा धान की खेती में काफी कमाई है क्योंकि इसकी बाजार में काफी डिमांड है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है गरमा धान का चूड़ा (जिसका पोहा बनाया जाता है)। इस धान की डिमांड पश्चिम बंगाल में काफी अधिक है। गरमा धान बाजार में भी काफी महंगा मिलता है इसका रेट 2600 रुपए क्विंटल है। अभी के समय में बिहार में चूड़ा, अनरसा और खाने वाला चावल तीन-तीन चीजों की मांग बाजार में होती है इसलिए इस धान का रेट इतना होता है। वहीं अगर ठंडा धान के रेट की बात करें तो उसका 2200, 2300 रुपए होता है और जिस समय धान कट कर तैयार होता है उस समय तो हमेशा से 2200 या 2100 क्विंटल ही मिलता है।

                                                                                                                                 किसान जितेंद्र पासवान की तस्वीर, गरमा धान के बोरों के साथ 

रिपोर्ट – सुमन 

किसान के लिए यह समय बहुत एहम है क्योंकि इस समय उनके धान की खेती का है। आप ग्रामीण इलाकों में अपनी नजर दौड़ाएंगे तो अपने चारों तरफ हरे-हरे धान के सुंदर खेतों को पाएंगे। खेतों में एक तरफ धान की रोपाई है तो दूसरी तरफ धान काटने के लिए पक के तैयार भी है और ऐसा क्यों है हम आपको बताते हैं। बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी ब्लॉक से 10 से 15 किलोमीटर दूर गांव पकड़ी में धान की कटाई होने को है और काफी हद तक कटाई हो भी गई है। यहां किसान साल में दो बार धान की खेती करते हैं और यह होती है गरमा धान की खेती। 

पकड़ी गांव के जितेन्द्र पासवान जिनकी उम्र 50 साल है। वह 30 सालों से किसानी करते आ रहे हैं। उनके पास खुद की जो जमीन है वह 5 बीघा है और 5 बीघा किराए पर लेकर किसानी करते हैं। इस तरह से वे कुल मिलाकर 10 बीघा पर खेती करते हैं जिसमें वह चना, मसूर, खेसारी, आलू, प्याज, सब्जी और धान रोपने वाली खेती भी करते हैं। यहां पर कुछ पर किसान साल में दो बार धान की खेती करते हैं। 

जितेंद्र पासवान गरीब परिवार से आते हैं और पेशे से किसान हैं। उन्हें किसानी करने के बहुत शौक है। मजदूरी करके उन्होंने धीरे-धीरे करके खेती खरीदी और फिर वह किसानी करने लगे। वह बताते हैं कि उनके पूर्वज के समय पर बिहार में पहले गरमा धान की खेती हुआ करती थी और वह कट जाने के बाद फिर जाकर इस समय पर ठंडा धान की खेती हुआ करती थी। अब समय इतना बदल गया है कि किसान अब एक ही धान की खेती करना पसंद करता हैं इसलिए अधिकतर खेतों में अगहनी (ठंडा) धान की खेती है लोगों ने गरमा धान की खेती करना बंद कर दिया है। 

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गरमा धान की खेती का समय 

गरमा धान रोपने का सही समय होली के बाद मार्च के समय में होता है, यह 120 दिनों में तैयार हो जाता है। इस धान की खेती करने में कम मेहनत लगती है। इसमें ठंडे धान की अपेक्षा दो बार जोताई करनी होती है। इसकी खेती में दो महीने तक हफ्ते के अंतराल पर पानी डालना पड़ता है और दवा का छिड़काव दो बार करना होता है। 

गरमा धान के लिए बिहार शरीफ प्रसिद्ध 

बिहार शरीफ गरम धान के लिए मशहूर है। जितेंद्र पासवान कहते हैं कि “वहां आप जाएंगे तो खेत आपको कभी खाली नजर नहीं आएंगे। पटना में कई बीज भंडारों में और कृषि विभाग में गरमा धान के बीज ढूंढने की कोशिश की लेकिन इतनी आसानी से बीज नहीं मिल पाता है लेकिन बिहार शरीफ गया जहां मुझे गरमा धान के बीज मिल गए। 

गरमा धान के बीजों का मूल्य 

बिहार शरीफ में गरम धान के बीज कई प्रकार के मिलते हैं जिसका रेट 60 रुपए से लेकर 90 रुपए तक का बीज मिलता है। चार बीघे जमीन पर 20 किलो धान का बीज लग जाता है। 

इस बार गरमा धान की कटाई में हुई देर 

जितेन्द्र पासवान ने बताया कि “ऐसे तो गरमा धान को मार्च के अंतिम दिनों में रोप दिया जाता है लेकिन इस बार हम लोगों को धान का बीज देरी से मिला है जिसके चलते धान की रोपाई अप्रैल के लास्ट में किया है, जिसके चलते इसकी कटाई अभी यानी की अगस्त के लास्ट दिनों में हो रही है और यह है सितंबर के पहले हफ्ते तक कटाई चलेगी।”

गरमा धान की खेती से किसानों को लाभ 

जितेंद्र पासवान की पत्नी बताती है कि 10 बीघा जमीन पर किसानी करते हैं जिसमें से चार बीघा जो जमीन है उस पर गर्म धान की रोपाई की जाती है। जिसमें उनकी लागत 40 से 50000 रुपए होती है और कमाई चार बीघा के धान में 2 लाख होती है। इस साल धान की रोपाई लेट होने की वजह से पानी हो गया जिसकी वजह से 50000 रुपए घाटे पर हैं। 

                                                                                                               गरमा धान की फसल काटते हुए महिला किसान की तस्वीर

गरमा धान की है अधिक डिमांड

किसानों के लिए गरमा धान की खेती में काफी कमाई है क्योंकि इसकी बाजार में काफी डिमांड है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है गरमा धान का चूड़ा (जिसका पोहा बनाया जाता है) है। इस धान की डिमांड पश्चिम बंगाल में काफी अधिक है। गरमा धान बाजार में भी काफी महंगा मिलता है इसका रेट 2600 रुपए क्विंटल है। अभी के समय में बिहार में चूड़ा, अनरसा और खाने वाला चावल तीन-तीन चीजों की मांग बाजार में होती है इसलिए इस धान का रेट इतना होता है। वहीं अगर ठंडा धान के रेट की बात करें तो उसका 2200, 2300 रुपए होता है और जिस समय धान कट कर तैयार होता है उसे समय तो हमेशा से 2200 या 2100 क्विंटल ही मिलता है।

जितेंद्र पासवान जी कहते हैं कि “लोग मेहनत नहीं करना चाहते हैं इसीलिए वह साल में दो बार धान की खेती नहीं करते। मेरा मानना है लोगों को दो बार धान की खेती करनी चाहिए क्योंकि अभी का जो धान है वह भगवान भरोसे होता है, बारिश होगी तो ही आपका धान होगा नहीं तो नहीं। मैं बाकी किसानों से यही कहूंगा कि उन्हें गरमा धान की भी खेती करना चाहिए। दो साल में जो प्रकृति ने इतना बड़ा उपहार दिया है कि साल में दो बार धान लगाया जा सकता है तो इसकी खेती करनी चाहिए। खेत हमारे पूजनीय होते हैं वही हमारे अन्नदाता है।”

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