मध्यप्रदेश के मशहूर पर्टयन स्थल जहांआप घूमना ज़रूर चाहेंगे।
भारत के बीचो–बीच बसा एक राज्य जो अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों और शानदार प्रतिमाओं के लिए दुनिया भर में मशहूर है। जी हाँ! हम बात कर रहे हैं “भारत का दिल” कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की। यहाँ आपको कोने–कोने में सभी धर्मों की सांस्कृतिक से लेकर आध्यात्मिक धरोहर आज भी देखने को मिल जाएगी। प्रदेश के हर शहर में असंख्यक स्मारक, मंदिर, स्तूप, किले और महल आज भी सोने की तरह चमक रहे हैं। और मध्य प्रदेश का सौंदर्य सिर्फ यहीं ख़तम नहीं होता, यहाँ आपको पेड़ों से ढके पहाड़ और सुर्ख नदियां भी भारी मात्रा में देखने को मिल जाएंगी।
आज हम आपको मध्य प्रदेश की कुछ आकर्षक जगहों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में सुनकर आपको भी एमपी की इस खूबसूरती को देखने का मन कर जाएगा।
उदयगिरी गुफाएं-
उदयगिरी की गुफाएं 20 गुफाओं की एक श्रृंखला है, इन गुफाओं को पहली शताब्दी BCE के दौरान बहुत ही बारीकी से और एक आधुनिक नक़्शे के तहत बनवाया गया था। एमपी के मशहूर शहर विदिशा से कुछ किलोमीटर दूर मौजूद इन गुफाओं में आज भी भारत के कुछ पुराने मंदिरों के चलचित्र मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि इस जगह को राजाओं ने पहाड़ों को काटकर बनवाया था और यहाँ अपने आराम के लिए छोटे–छोटे कमरे भी बनवाए थे। इन गुफाओं में स्थापित मूर्तियां भी सैकड़ों साल पुरानी बताई जाती हैं। उदयगिरी की ये गुफाएं मध्य प्रदेश के कुछ उन छिपे हुए स्थानों में से एक हैं जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। तो अगली बार आप विदिशा या उसके आसपास के किसी शहर आने की सोचिएगा तो इन गुफाओं की सैर करना बिलकुल मत भूलियेगा।
केन घड़ियाल अभयारण्य-
वैसे तो आपको मध्य प्रदेश में ऐसी कई जगहें मिल जाएंगी जहाँ पशु संरक्षण के लिए इंतज़ाम किए गए हैं। लेकिन केन घड़ियाल अभ्यारण्य एक ऐसा स्थान है जहाँ घड़ियालों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी है। यह सेंचुरी पन्ना ज़िले के पास में स्थित है, जहाँ चारों तरफ जंगलों से घिरे नज़ारे आपको देखने को मिल जाएंगे। यहाँ पर घड़ियालों के साथ–साथ 45 किलोमीटर दूर तक बह रही रही केन नदी भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। नदी के रेतीले तट पर आपको चिंकारा, चीतल, जंगली सुअर, मोर और नीले बैल भी आसानी से देखने को मिल जाएंगे। अगर आप शान्ति से बैठकर प्रकृति की खूबसूरत कला को निहारना चाहते हैं, तो यह जगह आपके लिए बिलकुल उचित है।
चंदेरी-
चंदेरी मध्य प्रदेश का वो ऐतिहासिक शहर है जो एक समय पर मध्य भारत का एक प्रमुख व्यापार केंद्र माना जाता था। बुंदेलखंड की सीमा पर बसे इस शहर का इतिहास 11वीं सदी से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि चंदेरी में बनी ज़्यादातर इमारतें और किले बुंदेलों और मालवा शहर के सुल्तानों द्वारा बनवाई गयी थीं, जिनमें आज भी पौराणिक संस्कृति साफ़ झलकती है। चंदेरी किलों और महलों के साथ-साथ दुनिया भर में प्रसिद्द चंदेरी साड़ियों के लिए भी प्रख्यात है। रेशम के बारीक कामों को हाथों से इन साड़ियों में पिरोया जाता है, जिसकी खूबसूरती के चर्चे देश-विदेश में होते हैं। यही कारण है कि दशकों पहले से चंदेरी शहर में विदेशी पर्यटकों का आना-जाना बना हुआ है। इस शहर में आपको प्राचीन काल में बने कई जैन मंदिर भी मिल जाएंगे जिसके चलते यहाँ जैन तीर्थयात्री भी भारी मात्रा में आते हैं। तो अगली बार आपको चंदेरी सिल्क की साड़ी खरीदने या प्राचीन महलों को देखने का मन करे, तो कहीं और नहीं सीधा चंदेरी घूमने आ जाइएगा। और कला की अद्भुत पेशकश आपको अवश्य यहाँ से कई यादें लेकर जाने पर मजबूर कर देगी।
बटेश्वर मंदिर-
आठवीं शताब्दी के कारीगरों द्वारा बनाई गई हस्तकला की एक खूबसूरत धरोहर कहे जाने वाले बटेश्वर मंदिर के बारे में काफी कम ही लोग जानते हैं। बलुआ पत्थर को तराश कर बनाई गईं इस मंदिर की दीवारें और उनपर की गई नक्काशी देखने लायक हैं। एमपी के मुरैना ज़िले से लगभग 25 किलोमीटर दूर चम्बल के बीहड़ों में बटेश्वर मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच इस जगह पर गुर्जारा-प्रतिहारा के वंशों द्वारा 200 मंदिरों का निर्माण किया गया था, लेकिन समय के साथ अब यहाँ पर उन मंदिरों के कुछ अंश ही बचे हैं। इस जगह को डाकुओं का इलाका कहे जाने के कारण आपको यहाँ भीड़-भाड़ कम ही मिलेगी, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इन मंदिरों की खूबसूरती को बरक़रार रखने में डाकुओं का ही हाँथ है। वो लोग बटेश्वर का संरक्षण करने में तत्पर रहते हैं। इसके साथ ही मंदिर का सौंदर्य देखने आ रहे पर्यटकों को आजतक कभी किसी डाकू का सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए आप भी डाकुओं के डर से इस सुन्दर मंदिर को देखने में संदेह मत करिएगा, और अगली बार मध्य प्रदेश की सैर करने निकालिएगा तो बटेश्वर का भ्रमण ज़रूर करिएगा।
पातालकोट-
मीनसागर स्तर से हज़ारों फीट की ऊंचाई पर बसी पातालकोट घाटी के लुभावने दृश्य आपको आश्चर्य में छोड़ सकते हैं। पहाड़ों से घिरी इस घाटी के दर्शन जो लोग कर चुके हैं वो बताते हैं कि आदिवासियों की यहाँ एक अलग दुनिया ही बसी हुई है जो भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से हमारे देश की सपंदा में चार-चाँद लगाती है। पातालकोट घाटी में 12 गावों का समूह बसा है जिसका नक्शा कुछ इस प्रकार का है कि अगर दूरी से देखा जाए तो ये घाटी घोड़े की नाल जैसी लगती है। पानी से हज़ारों फ़ीट की ऊंचाई और ज़मीन से हज़ारों फ़ीट की गहराई में बसने के कारण इस जगह को पाताल का नाम दे दिया गया है। यहाँ का सबसे खूबसूरत दृश्य तो तब देखने को मिलता है जब ज़मीन से कई फ़ीट की गहराई में होने के कारण सूरज की किरणें यहाँ दोपहर में पहुँच पाती हैं। और सुबह जब आसपास के शहरों में उजाला होता है तो यहाँ अंधेरा छाया होता है। पातालकोट इस इस खूबसूरती को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहाँ पहाड़ों के नज़ारे देखने आते हैं। तो अगली बार अगर आप अपने परिवार के साथ पहाड़ी इलाके में घूमने की योजना बनाइयेगा तो किसी बर्फीले इलाके पर नहीं बल्कि पातालकोट आकर यहाँ के दृश्यों का आनंद उठाइयेगा।
तो देखा आपने कितना सुन्दर है मध्य प्रदेश! और सिर्फ यही नहीं, यहाँ पर और भी ऐसी हज़ारों जगहें हैं जिन्हें देखकर आपका बार-बार एमपी घूमने का मन करेगा। तो अगली बार अगर मध्य प्रदेश के किसी भी कोने में आने की सोचियेगा तो इन जगहों का लुत्फ़ उठाना बिलकुल मत भूलियेगा। संस्कृति और खूबसूरती से भरपूर यह राज्य आपके दिल में बस जाएगा।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।