उत्तर प्रदेश का जिला चित्रकूट धार्मिक नगरी के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर कई ऐतिहासिक मंदिर, स्थल और नदियां मौजूद है। जिनका अपना-अपना इतिहास और कहानियां है। लेकिन जब भी हम कहीं घूमने जाते हैं तो हमारा सबसे ज़रूरी सवाल होता है, कहां और कौन-सी जगह। आज हम आपको चित्रकूट के कुछ मशहूर पर्टयन स्थल के बारे में बताएंगे। जहां जाना आप ज़रूर पंसद करेंगे।
गुप्त गोदावरी
राम घाट से लगभग 18 किमी. दूर विंध्य पहाड़ियों के पन्ना श्रेणी में यह गुफा स्थित है। ऐसा माना जाता हैं कि गोदावरी गुफा के अंदर की चट्टानों से एक बारहमासी ( बारहों महीने निकले वाली) धारा निकलती हैं। बाद में यह धारा अन्य चट्टान से बहती हुई गायब हो जाती है। एक अन्य रहस्यमयी बात यह हैं कि एक विशाल चट्टान को छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है। कहते हैं कि यह विशाल दानव मयंक का अवशेष है। गुप्त गोदावरी में दो रहस्य्मयी गुफाएं भी है। जिनमे से एक गुफा बड़ी और दूसरी गुफा उससे छोटी लेकिन लम्बी है। माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम भी यहां रुके थे।
इस तरह से पहुंचे
रेलवे स्टेशन – चित्रकूट धाम कर्वी
हवाईजहाज से – खजुराहो हवाईअड्डा
खुलने का समय – सुबह 7 से शाम के 6, हर दिन
सती अनुसुइया आश्रम
सती अनुसुइया आश्रम शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल के पास पहाड़ियों में बसा हुआ है। चारों ओर सिर्फ हरियाली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि अत्रि अपनी पत्नी अनुसुइया और तीन बेटों के साथ इस जगह पर रहते थे। भगवान राम, माता सीता के साथ इस जगह पर रुके थे। जिस दौरान देवी अनुसुइया ने माता सीता को सतित्त्व का महत्व बताया था।
हनुमान धारा
यह मंदाकनी नदी के पास पहाड़ियों में बसा हुआ है। इस जगह को भगवान हनुमान को समर्पित किया गया है। भगवान हनुमान के दर्शन के लिए पर्यटकों को 360 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। रामायण से पता चलता है कि लंका में आग लगाने के बाद बजरंग बलि द्वारा इस पहाड़ी पर छलांग लगाई गयी। अपने गुस्से को शांत करने के लिए वह ठन्डे पानी में खड़े हुए थे। इसलिए इस धारा को हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।
कामदगिरि पर्वत
कामदगिरी, चित्रकूट धाम का पवित्र स्थान है। ‘कामदगिरी’ का अर्थ है, जो सभी इच्छाओं और कामनाओं को पूरा करता है। प्राचीन कहानियों के अनुसार संसार की रचना करते समय परम पिता ब्रह्मा जी ने चित्रकूट के इस स्थान पर 108 अग्नि कुंडों के साथ हवन किया था। अपने वनवास के दौरान भगवान राम ने भी इस जगह पर कुछ समय बिताया था। इस पर्वत का आकार धनुष की तरह है। जहां एक बहुत बड़ी झील भी है। जो की सैलानियों को उसकी तरफ खींचने का काम करती है। इसी जगह पर भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने 11 साल बिताये थे।
भरत मिलाप मंदिर
कामदगिरि पर्वत पर ही भरत मिलाप मंदिर भी बना हुआ है। यह रामायण के उस हिस्से को दिखाता है जब भरत भगवान श्रीराम को वनवास छोड़ आयोध्या वापस लौटने के लिए मनाने आये थे।
स्फटिक शिला
यह मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि नदी के इस तट से भगवान राम और माता सीता ने चित्रकूट की सुंदरता की सराहना की थी। यह जगह घने जंगलों के बीच छिपी हुई है। माता सीता ने यहां अपना श्रृंगार किया था। कहा जाता है कि आज भी यहां भगवान राम के चरणों के निशान है। इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही जगह है जहां देवी सीता को भगवान इंद्र के पुत्र जयंत ने काट लिया था। जब वह एक कौवे के रूप में उड़ रहे थें।
चित्रकूट आध्यात्मिक भावनाओं और रोमांच से भरपूर है। यहां आकर आप खुद को भगवान से जुड़ा हुआ पाएंगे। यहां की खूबसूरत वादियां, झरने और पर्वत आपके मन को शांत करने का काम करेंगी। तो ज़रूर आइयेगा यहां, रोमांच से भरी दिलचस्प कहानियों और इतिहास को जानने।
(आर्टिकल में उपयुक्त तस्वीरों को गूगल से लिया गया है।)