जिला हमीरपुर कस्बा भरूहा सुमेरपुर में लोगों द्वारा कई अलग-अलग तरह के चमड़े के जूते बनाए जाते हैं। यहां के बनाए जूते दूर-दूर तक मशहूर है। लेकिन कोरोना की वजह से उनका रोज़गार छिन गया है। अब कई महीनों के बाद लोगों ने अपने जूतों की दुकान खोली है। सुरेंद्र, जो कि जूते बनाने का काम करते हैं उनका कहना है कि उनके बाप-दादा शुरू से ही चमड़े के जूते बनाने का काम करते थे।
वह एलपीजी हाथों से जूते बनाने थे। वह बताते हैं कि हर जूते की गुणवत्ता अलग-अलग होती है और उसी के हिसाब से जूतों की कीमत भी तय की जाती है। एक जोड़ो फैंसी जूते बनाने में उन्हें तकरीबन 10 घण्टे लगते हैं। वह बताते हैं कि बड़े व्यापारी स्थानीय लोगों से जूते खरीदकर बेचते हैं। हीरालाल कहते हैं कि पहले जूते बनाने से उन्हें ज़्यादा फायदा नहीं होता था। लेकिन जबसे उनके पूरे परिवार ने यहां तक महिलाओं ने भी जबसे जूते बनाना शुरू कर दिया है, तब से उन्हें काफ़ी राहत है।