जिला वारणसी के नगर क्षेत्र पांडेपुर का पेठा काफ़ी मशहूर है। जिसे बनाने में लागत भी कम आती है। इसके साथ ही यह एक हफ्ते से भी ज़्यादा चल जाता है। इसे बनाना बेहद ही आसान है। इसे सीताफल और चीनी से बनाया जाता है। महिलाओं का कहना है कि उन्होंने पेठा बनाना किसी से सीखा नहीं है। घर में लोग बनाते थे तो सीख लिया। यहां के रहने वाले सोनू का कहना है कि पेठा बनाने में एक दिन लगता है। जिसे की 15 दिनों तक खाया जा सकता है। लोग इसे खाने के साथ भी खाते हैं। पेठे को आमतौर पर सर्दी के मौसम में बनाया जाता है।
उस समय सीताफल बीस रूपये और चीनी 40 रूपये किलो के भाव मिलता है। एक दिन में 30 से 40 किलो पेठा बन जाता है। पहले सीताफल को छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े किये जाते हैं। फिर उसे पानी और चूना के घोल में छह से सात घंटे के लिए भिगोया जाता है। इसके बाद इसे चीनी के सिरे में तीन घंटे तक खौलाया जाता है। सीताफल का चाशनी सोखने का इंतज़ार किया जाता है। इसके एक घंटे के बाद हम इसे खा सकते हैं। यह दुकानों पर सौ रूपये किलो मिलता है।