पन्ना जिले के छोटे से गाँव में रहने वाली शकुंतला वर्मा गायिका हैं। पन्ना जिला हो या बुंदेलखंड क्षेत्र, यहां लोकगीत हमेशा से गाया जाता है। फाल्गुन का गीत हो या फिर शादियों का। सब लोग अलग-अलग मौके पर अपनी गायकी प्रस्तुत करते हैं। अक्सर लोकगीत और विदाई के गीत गाये जाते हैं। जब बच्चे का जन्म होता है तो उस समय उत्स्व के दौरान बरहों का गीत गाया जाता है।
शकुंतला वर्मा हर प्रकार के गीत गाती हैं। वह दस साल की थी तब से ही उन्हें गाने का शौक है। उस समय डीजे नहीं था। उस समय डेक और रेडियो चला करते थे। उन्हीं को सुनकर उन्हें गाना गाने का उत्साह मिला।
इनका जन्म देवेंद्र नगर के हल्के मुंटवा गांव में हुआ। फिर 18 साल की उम्र में उनकी शादी हो गयी। वह बताती हैं कि उनके ससुराल वालों द्वारा उनकी गायकी को काफी सहयोग दिया गया। आगे बढ़ने के लिए भी ससुराल वालों ने हमेशा साथ दिया। वह कहती हैं कि उनके ससुर से लेकर उनके पति और उनके बच्चे, सभी उनको उत्साहित करते हैं।
आज वह यूपी और एमपी के कई जिलों में गायकी के कार्यक्रम कर चुकी हैं। उन्हें यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि उनका पूरा परिवार उनके साथ है। उनकी बचपन की इच्छा पूरी हो गयी। उन्हें पहला कार्यक्रम साल 2004 में दिल्ली के लाल किला में दिया गया था। जहां पर पत्रकारों द्वारा उनका इंटरव्यू लिया गया और उन्हें सम्मानित किया गया।
वह बताती हैं कि पहले उन्हें पुरुषों के बीच बैठकर गाने में डर लगता था। जब वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती गयी तो उनके मन का डर भी चला गया। वह एमपी के इंदौर ,भोपाल सतना, पन्ना ,जबलपुर कटनी, टीकमगढ़, सीधी, ग्वालियर, दतिया आदि जिलों में कार्यक्रम कर चुकी हैं। वहीं वह यूपी के बांदा , इलाहाबाद, चित्रकूट, अतर्रा, झांसी, ललितपुर, महोबा, जालौन आदि जिलों में भी गा चुकी हैं।
कोविड से जुड़ी जानकारी के लिए ( यहां ) क्लिक करें।