2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान कई डॉक्टरों ने अपनी जान गवई थी। पांच साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम ने कहा कि महामारी के दौरान काम करते हुए कोविड-19 से मरने वाले निजी डॉक्टर 50 लाख रुपये के बीमा के पात्र हैं। यह फैसला कोर्ट ने कल गुरुवार 11 दिसंबर 2025 को सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जिन निजी डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक खुले रखे और बाद में संक्रमण से उनकी मौत हो गई, उन्हें भी अग्रिम पंक्ति (फ्रंटलाइन) के कोरोना योद्धा माना जाना चाहिए।
अदालत ने यह भी साफ किया कि ऐसे निजी डॉक्टर भी सरकार द्वारा नियुक्त या अधिग्रहित किए गए कर्मियों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP) के तहत मिलने वाले 50 लाख रुपये के बीमा का हक है। उन डॉक्टरों के परिवार को इस बीमा के तहत पैसे मिलने चाहिए।
कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला किया रद्द
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें निजी चिकित्सकों को इस योजना से बाहर रखा गया था। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि महामारी संबंधी नियमों और आधिकारिक आदेशों से स्पष्ट है कि डॉक्टरों की सेवाओं की आवश्यकता थी और बीमा योजना का उद्देश्य अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को यह आश्वासन देना था कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने फैसला सुनाते हुए कहा “कानून के तहत घोषणा के अनुसार और सिद्धांत के तौर पर डॉक्टरों की मांग की गई थी। कोई डॉक्टर कार्यरत था या नहीं, इसका निर्धारण साक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा। कोविड काल में बलिदान देने वाले डॉक्टरों और उनके परिवारों को यह नहीं बताया जा सकता कि उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। इस हद तक उच्च न्यायालय का फैसला रद्द किया जाता है।”
लल्लन टॉप की रिपोर्ट के अनुसार 9 मार्च 2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि प्राइवेट हॉस्पिटल के कर्मचारी बीमा योजना का लाभ पाने हकदार नहीं हैं। जब तक कि उनकी सेवाओं की मांग राज्य या केंद्र सरकार ने ना ली हो। बीमा कवरेज से जुड़ी ये याचिक किरण भास्कर सुरगड़े नामक एक महिला ने हाई कोर्ट में दायर की थी। उनके पति का 2020 में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था। उनके पति ठाणे में एक प्राइवेट क्लिनिक चलाते थे।
जब उन्होंने बीमा के लिए अप्लाई किया तो इंश्योरेंस कंपनी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP) के तहत उनके दावे खारिज कर दिया था। कंपनी का कहना था कि उनके पति के क्लिनिक को कोविड-19 अस्पताल के रूप में मान्यता नहीं मिली थी जिसके बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि सभी डॉक्टर्स और हेल्थ प्रोफेशनल इस बीमा कवरेज के हकदार है।
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