खबर लहरिया Blog आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती है यौन रोग की शिकार: अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्रवाई दिवस

आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती है यौन रोग की शिकार: अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्रवाई दिवस

आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं होती है यौन रोग की शिकार: अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्रवाई दिवस

महिला दिवस

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्रवाई दिवस है. हमारे देश में महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति वैसे की बहुत खराब है. कारण एक महिला अगर घर की मुखिया है तब भी वो सब के स्वास्थ्य का ख्याल रखेगी लेकिन खुद को इससे अलग रखती है. अगर वो घर की कोई आम सदस्य है तो उसकी सेहत की कोई खास चिंता नहीं करता। इस लिए वर्ष 1987 में 28 मई को अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्रवाई दिवस या अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य घोषित किया गया था। तब से हर वर्ष यह दिन महिलाओं और स्वास्थ्य समूहों द्वारा मनाया जाता है। लैटिन अमेरिकी एवं कैरेबियाई महिला स्वास्थ्य संघ (एलएसीडब्लूएचएन) तथा प्रजनन अधिकार (डब्ल्यूजीएनआरआर) के लिए महिलाओं का वैश्विक संघ इस अभियान को सफ़ल बनाने के लिए मिलकर काम करता हैं। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के स्वास्थ्य और आरोग्यता जैसे कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों से जुड़े मुद्दों के बारें में जागरूकता बढ़ाना हैं। यह हर किसी को विशेषकर सरकारी नेताओं और सांसदों को याद दिलाने वाले बेहतरीन मंचों में से एक है, कि महिलाओं का स्वास्थ्य मायने रखता हैं। इसके अंतर्गत जो अधिकार महिलाओं के लिए है उसमे ये है :-

  • लैंगिकता के बारे में जानकारी।
  • यौन शिक्षा।
  • अपने साथी का चुनाव।
  • शारीरिक सम्बन्ध बनाने या न बनाने का निर्णय।
  • इस बात का निर्णय करना, कि कब बच्चा पैदा करना हैं?
  • आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग।
  • प्रसूति देखभाल का उपयोग।
  • सुरक्षित गर्भपात और गर्भपात के बाद देखभाल।
  • यौन संचारित रोगों और संक्रमण की रोकथाम, देखभाल और उपचार के बारे में जानकारी जानना।

लेकिन इसके बाद भी महिलाओं के स्वास्थ्य पर कोई खास असर या सुधार नहीं देखा गया. डब्लूएचओ के अनुसार भारत में 23 प्रतिशत महिला और 9 प्रतिशत पुरूष यौन रोग से पीड़ित हैं। यौन रोग का प्रमुख कारण लापरवाही है। मासिक धर्म दौरान महिलाओं द्वारा गंदे कपड़े के प्रयोग से इसकी सम्भावना और बढ़ जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि महिलाएं अक्सर यौन रोग को छिपाती या ये कहा जाय की खुल कर बताती नहीं है जिसका खामियाजा उन्हें कई बार अपनी जान दे कर चुकाना पड़ता है. इसका साफ मतलब ते भी है कि महिला स्वास्थ्य सिर्फ कार्यक्रम ही नहीं एक मिशन बनाने की जरुरत है