बांदा जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर बसे कोलावल गांव में सैकड़ों साल पुराना हनुमान मंदिर है। यहां मंदिर के चबूतरे पर महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है, जो एक पुरानी परंपरा के रूप में चली आ रही है। यह परंपरा कई पीढ़ियों से बनी हुई है, और आज भी इस परंपरा का पालन किया जा रहा है। इस मंदिर में महिलाओं और लड़कियों को इस “दकिया नुसी” परंपरा का शिकार है, जो उनकी धार्मिक गतिविधियों और मंदिर दर्शन के अधिकार को सीमित करता है।
ऐसी परंपराएं समाज में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता पर सवाल उठाती हैं। समय के साथ, बहुत से स्थानों पर इस प्रकार की परंपराओं में बदलाव की कोशिश की जा रही है, लेकिन ऐसे नियम और परंपराएं कई स्थानों पर आज भी कायम हैं।
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