सुक्षा जवान के 1000 पद और सुपरवाईज़र के 300 पद पर नियुक्ति होगी। इन पदों पर शुरुआत में वेतन 14000 से 32000 तक होगा। आयु सीमा 28 से 37 वर्ष रखी गई है, जबकि सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष तक होगी।
रिपोर्ट – सुशीला, लेखन – सुचित्रा
उत्तर प्रदेश में युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए, वाराणसी जिले के चोलापुर ब्लॉक में 18 और 19 अगस्त को एक विशेष रोजगार कैंप का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की भारतीय सुरक्षा कम्पनी में स्थायी नियुक्ति के लिए की जा रही है। यह पहल क्षेत्र के युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से की गई है।
रोजगार मेले इन जगहों पर
यह रोजगार कैंप काशी विद्यापीठ सेवा क्षेत्र के पिंडरा, आराजी लाइन, बड़ागांव, चिरईगांव, हरहुआ, चोलापुर सहित अन्य ब्लॉकों के युवाओं के लिए खोला गया है। कैंप में युवाओं की योग्यता के अनुसार SIS ग्रुप के सभी पदों के लिए की जाएगी। प्रशिक्षण और चयन प्रक्रिया कमांडो कार्यालय ट्रेनिंग सेंटर, लखनऊ के माध्यम से की जा रही है। सुक्षा जवान के 1000 पद और सुपरवाईज़र के 300 पद पर नियुक्ति होगी। इन पदों पर शुरुआत में वेतन 14000 से 32000 तक होगा। आयु सीमा 28 से 37 वर्ष रखी गई है, जबकि सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष तक होगी।
रोजगार मिलने पर सुविधाएं:
- वार्षिक वेतन वृद्धि
- समय-समय पर प्रमोशन
- सरकारी पेंशन
- पीएफ
- बोनस
- मेडिकल सुविधा
- बच्चों की पढ़ाई में सहयोग
प्रशिक्षण से जुड़ी बातें:
- यह योजना सीमित अवधि के लिए है।
- 100% शुल्क वापसी भारत सरकार की “यकीन योजना” के तहत की जाएगी, जिसमें ₹15,000 की राशि सीधे बैंक खाते में लौटाई जाएगी।
- प्रशिक्षण के दौरान वर्दी के रूप में दो जोड़ी कपड़े, पैंट, जूते, मोजे, टी-शर्ट, हाफ पैंट और कैप दिए जाएंगे।
- प्रशिक्षण के समय खाने-पीने और रहने की पूरी व्यवस्था की गई है, जिसकी लागत लगभग ₹10,000 है।
- आवेदन शुल्क ₹350 ऑनलाइन जमा करना होगा, जिसकी रसीद प्रशिक्षण केंद्र पर लाना अनिवार्य है।
- अन्य ब्लॉकों के अभ्यर्थी भी इस भर्ती प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।
चोलापुर में रोजगार मेले पर भीड़
वाराणसी के चोलापुर ब्लॉक में युवाओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। क्षेत्रीय प्रशासन और कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अधिक से अधिक योग्य युवाओं को नौकरी मिले।
कैंप में आए उम्मीदवारों का कहना है कि यह पहल उनके लिए एक सुनहरा अवसर है, जिससे उन्हें न सिर्फ रोजगार मिलेगा, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम भी होगा।
प्रशासन का कहना है कि “इस कैंप के माध्यम से युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार चयनित कर, प्रशिक्षण के बाद नियुक्त किया जाएगा। लक्ष्य है कि कोई भी पढ़ा-लिखा युवा बेरोजगार न रहे।”
रोजगार की तलाश में चोलापुर पहुंचे सुजीत यादव बोले — “सरकार रोजगार देने की बात करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है”
बेरोजगार युवाओं के सवाल
चोलापुर ब्लॉक में आयोजित रोजगार कैंप में ग्राम सभा रोना कला के निवासी सुजीत यादव भी नौकरी की तलाश में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि “हम लोग इंटर कर चुके हैं, लेकिन बेरोजगार बैठे हैं। पहले जैसी कोई सरकारी वैकेंसी अब दिखाई नहीं देती। सरकार कहती है कि सबको रोजगार दिया जा रहा है, लेकिन हमें तो कुछ मिला नहीं। अब घर पर भी तनाव बढ़ने लगा है। जब आमदनी नहीं होगी, तो इस महंगाई में परिवार कैसे पलेगा? गांव में कोई विकल्प नहीं है अगर दुकान भी लगाएं तो ग्राहक कितने आएंगे?”
उन्होंने बताया कि किसी जान-पहचान वाले से जानकारी मिली कि चोलापुर ब्लॉक में रोजगार मेला लगा है, जहां से निजी क्षेत्र की भारतीय सुरक्षा कंपनी के लिए आवेदन लिया जा रहा है। इसी उम्मीद में वे आज कैंप में पहुंचे हैं।
आवेदन के लिए 350 रुपए शुल्क
सुजीत यादव ने बताया कि यहां आवेदन के लिए 350 रुपये जमा किए जा रहे हैं। साथ में फोटो और डॉक्युमेंट भी लिए जा रहे हैं। बताया गया है कि लखनऊ में ट्रेनिंग होगी और चयन की जानकारी मोबाइल नंबर पर फोन या मैसेज के माध्यम से दी जाएगी। अभी तो सिर्फ आवेदन किया है, पहली बार ऐसा कर रहा हूं। पहले तो किसी न किसी से फॉर्म निकलने की जानकारी मिल जाती थी, लेकिन अब कुछ पता ही नहीं चलता। किसी के बताने पर ही यहां आए हैं, देखते हैं क्या कुछ मिलता है?
पढ़े लिखे युवाओं का रोजगार के लिए संघर्ष
मनीष, ग्राम सभा तिलमापुर से इस रोजगार मेले में आई हैं। वह बताती है कि पढ़ाई-लिखाई हम बहुत मेहनत से करते हैं। इसमें पैसे भी खर्च होते हैं और ये पैसे कहां से आते हैं, हम अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन आज के हालात देखकर ऐसा लगता है कि पढ़े-लिखे और अनपढ़ दोनों व्यक्ति बराबर हो गए हैं।
क्योंकि जब पढ़े-लिखे युवाओं को ही रोजगार नहीं मिल रहा, तो फिर अनपढ़ लोगों के लिए क्या विकल्प बचते हैं? एक समय था जब लोग पढ़े-लिखे नहीं होते थे, फिर भी उन्हें सफाई कर्मी जैसे काम मिल जाते थे। कोई आठवीं तक पढ़ा था, कोई बिल्कुल भी नहीं, फिर भी उन्हें रोजगार मिल जाता था।
हमारे गांव में भी यही स्थिति थी लेकिन आज की हालत ये है कि इंटर, बीए, एमए जैसे डिग्रीधारी भी बेरोजगार बैठे हैं। इन डिग्रियों का अब कोई महत्व नहीं रह गया है। यह स्थिति बहुत चिंताजनक है और हमें सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा का असली मूल्य आखिर क्या रह गया है?”
लड़कियां भी रोजगार की तलाश में
भवानीपुर ग्राम सभा की पूनम का कहना है “लड़कियां भी पढ़ी-लिखी हैं और उन्होंने भी पैसे खर्च करके शिक्षा हासिल की है। उनकी भी इच्छा है कुछ करने की, लेकिन जब ना तो आर्थिक सहयोग मिलता है और ना ही मौके, तो वे कैसे आगे बढ़ें? कभी पैसे की कमी आड़े आती है, तो कभी बाहर निकलने की आज़ादी नहीं मिलती। गरीब मजदूर मां-बाप जैसे-तैसे पढ़ा तो देते हैं, लेकिन उन्हें भी उम्मीद नहीं होती कि बेटी को कोई रोजगार मिलेगा।
चोलापुर ब्लॉक में जब भर्ती की जानकारी मिली, तो लगा कुछ अवसर है, लेकिन उसमें सिर्फ लड़कों को ही प्राथमिकता दी गई। क्या लड़कियों के लिए कोई मौका नहीं है? सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, लेकिन जब बेटियां पढ़ रही हैं, तो उन्हें समान अवसर क्यों नहीं मिल रहा?
हम मांग करते हैं कि चाहे सरकारी हो या प्राइवेट, सभी भर्तियों में लड़कियों की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित की जाए। हम भी पढ़ना चाहती हैं, नौकरी करना चाहती हैं और आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं।”
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