हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। बिहार चुनाव को लेकर जिस तरह की खलबली बिहार में नहीं पूरे देश में देखी जा सकती है। सत्ता-राजनीति कैसे सर चढ़ कर बोलती है, इसकी साफ़ झलक कोरोना जैसी ख़तरनाक महामारी के बावजूद हो रहे इस चुनाव के जुनूनी प्रचार अभियान में देखी जा सकती है।
लगता है संक्रमण का ख़ौफ़ न तो उम्मीदवारों में है और न ही मतदाताओं में। जबकि संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ ही रही है और इस कारण हो रही मौतें भी नहीं रुक रहीं। एक हज़ार तक पहुँचे मृतकों की सूची में बिहार राज्य सरकार के दो मंत्रियों का शामिल होना और अभी भी सुशील मोदी और मंगल पांडेय समेत कई प्रमुख नेताओं का अस्पताल में इलाज चलना स्थिति की गंभीरता बता रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के तहत जिन 71 विधानसभा क्षेत्रों में 28 अक्टूबर को मतदान होना है, उनके लिए सोमवार की शाम प्रचार समाप्त हो गया है। ख़ैर, अब आईए नज़र डालें इस चुनाव में अब तक के सियासी उतार-चढ़ाव पर। पहले मतदान चरण के मतदान से जुड़े क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के दौरान दो पहलू मुख्य रूप से उभर कर सामने आए हैं।
एक ये, कि राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का गठबंधन शुरुआत में बेहतर स्थिति से फ़िसल कर कड़ी चुनौती में फँसा है। दूसरा पहलू ये कि राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस और वामपंथी दलों जिसमें सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल पार्टी शामिल हैं के ‘महागठबंधन’ में अचानक उछाल देखी जा रही है। सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को ‘महागठबंधन’ से कड़ी चुनौती की जो सबसे बड़ी वजह बनी है, वह है बेरोज़गारी वाले मसले का एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन जाना और यह एजेंडा सेट कर दिया है|
आरजेडी के तेजस्वी यादव ने। तेजस्वी ने घोषणा की है कि अगर उनकी सरकार बनी, तो पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य के दस लाख बेरोज़गारों को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाएगी। कैसे दी जाएगी के रास्ते तो उन्होंने बताए, पर इसमें कितना अमल होगा या चुनावी मुद्दा बनकर रह जायेगा इस पर भी खूब सवाल उठाए जा रहे हैं।
लेकिन, जैसा कि चुनावी माहौल में कोई मुद्दा चल निकलता है, वैसे ही बेरोज़गार युवाओं ने इसे हाथों-हाथ लेकर तेजस्वी की सभाओं में भीड़ बढ़ाई है उधर, बीजेपी पर इस चुनौती का ऐसा गहरा असर हुआ कि इस पार्टी ने भी 19 लाख लोगों को रोज़गार के अवसर देने का एलान कर दिया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि जब एक तरफ़ सरकारी नौकरी का वायदा और दूसरी तरफ़ रोज़गार के अवसर का भरोसा हो, तो ज़ाहिर है कि सरकारी नौकरी ही आकर्षण पैदा करेगी। लोग इसकी तरफ ज्यादा खीचेंगे।
खैर बिहार चुनाव नजदीक आते आते दिलचस्प होता जा रहा है। पार्टियां एक दूसरे पर खूब भारी पड़ रही हैं। देखने वाली बात है कि पार्टियां और नेता जनता को कितना रिछा पाएंगे? 7 साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!