एक समय ऐसा था कि चित्रकूट का पाठा क्षेत्र चम्बल घाटी के नाम से जाना था। मतलब कि जिले का वह इलाका जहां पर बदमाशों का गढ़ था। इस क्षेत्र के लोगों में हमेशा दहशत का माहौल होता था और अगर चुनाव आ जाएं तो अपनी जोर ज़बरदस्ती के बल पर वोट हासिल कर ही लेते थे। ददुआ, ठोकिया, बबुली, बलखड़िया, राधे जैसे के बदमाशों ने आदिवासियों का जीना दूभर कर रखे थे। यह आतंक इसलिए भी इतना कायम रखते थे क्योंकि वही प्रधान से लेकर विधायक सांसद मंत्री तक के चुनाव लड़ते और जीत भी जाते थे। इस चुनावी माहौल में वहां की इस खौफ की तस्वीर देखने हम पहुंचे पाठा क्षेत्र और लोगों से खुल कर बात हुई।
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डोंडा माफी की महिलाएं सुबला, रजुलिया, सुरतिया का कहना है कि पहले बहुत डर रहता था। जब बदमाश जिंदा थे तब वह दिन दहाड़े नुकसान पहुंचाते थे। अब सब मर चुके हैं और जो हैं भी वह सब जेल में हैं इसलिए अब डर नहीं हैं।
संतोष साकेत कहते हैं कि दो ढाई साल हो गए जब से बबुली गैंग खत्म हो गई तब से डकैतों का आतंक खत्म हो गया है। अब किसी को बदमाशो से डर नहीं रह गया है।
रामदेव और भोंडी गांव के सबसे पहले नम्बर के घर में आते हैं। वह दोनों पति पत्नी हैं और काफी उम्रदराज हैं। सबसे पहली मुलाकात उनसे ही हुई। दोनों आग ताप रहे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि पहले बहुत डर हुआ करता था लेकिन अब स्थिति सुधर गई है। चाहे जिस भी सरकार के आने से बदलाव हुआ हो लेकिन पाठा की तस्वीर बदल चुकी है।
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