केंद्र सरकार ने 2018 में ‘पोषण’ अभियान के तहत ‘एनीमिया मुक्त भारत की शुरुआत की थी, ताकि 2022 तक एनीमिया को रोका जा सके इसके प्रचार के लिए मार्च 2020 तक का लक्ष्य है लेकिन क्या एनीमिया को लेकर लोग जागरूक है ?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस समय 15 से 49 साल के उम्र की 53.1 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं यानी 100 में 53 महिलाओं में खून की कमी है.
वहीँ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 4 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15 से 49 वर्ष की लगभग 52.4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं
चित्रकूट की अगर बात करें तो सीएमओ के मुताबित जिले में कुल 2145 महिलाएं एनीमिया की शिकार हैचित्रकूट मे बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिनको खून की कमी है ये समस्या ज्यादातर आदीवासी जाति के लोगों मे है
इसकी जानकारी आंकड़े सी एम ओ के पास भी है
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महिलाओं मे इतनी ज्यादा खून की कमी का कारण उनके आहार मे पोषकतत्व नहीं रहता खाने रोज दाल सब्जी नहीं खा पाते
गरीबी से झूझते लो ग पेट भरते हैं किस तरह भरते हैं वो उनका खाना दिखता है
इस समय चित्रकूट के जिला अस्पताल मे हर दूसरे दिन यानि एक दिन के गैप मे पांच से आड महिलाओं को खून चढ रहा है
पूरे जिले की ये एक बडी समस्या है
पेग्नेंट महिलाओं मे ये बिमारी ज्यादा पाई जाती है और जब मां कमजोर होगी तो बच्चा कुपोषित का शिकार होगा और भी टीम इस मुद्दे पर काम कर रही है लेकिन ये इतना बडा आंकड़ा 21सौ 45 महिलाओं का
स्वास्थ्य विभाग का के काम का असर कितना है ये साफ दिख रहा है
अभी तक तो यही देखने को मिला है विकास के नाम पर अब आगे देखना है कितना विकास हो पायेगा