खबर लहरिया Blog कड़ाके की ठण्ड में ध्वस्त होती शिक्षा व्यवस्था

कड़ाके की ठण्ड में ध्वस्त होती शिक्षा व्यवस्था

मौसम का कोहरे और ठंड से अभी राहत मिलने की उम्मीद भी दिखाई नहीं दे रही है और शिक्षा व्यवस्था खराब हो रही है . आये दिन तापमान में हो रहे उतारचढ़ाव से तो आप अवगत ही होंगे। वहीं इस कड़ाके की ठण्ड में अगर हम देश की शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो सरकारी विद्यालय के मुफ्त शिक्षा के साथसाथ अन्य समस्याओं के समाधान की तो सरकार तो बात और बडे़बडे़ वादे करती है,पर वहां की जमीनी हकीकत तो वहां पहुंच कर ही पता लगाई जा सकती है|प्राथमिक विद्यालय में बच्चो को बैठने के लिए कोई ठिकाना नहीं, तो कहां से कर पायंगे पढ़ाई?  और क्या होगा शिक्षा व्यवस्था का ?

तो चलिए आज एक दौरा कर लेते हैं  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले का जहाँ चिरई गाँव ब्लॉक  के डुबकिया प्राथमिक विद्यालय में लगभग 3 वर्ष से बाउंड्री और फर्स टूटा हुआ अधूरा पड़ा है स्कूल के आस-पास जंगल छाया हुए है बालू और कंकड़ के बीच में  बैठते है बच्चे!

सरकार द्वारा फर्स निर्माण के लिए अप्रैल 2019 में तोड़ा गया था| लेकिन अभी तक उस पर निर्माण का काम शुरु नहीं किया गया है|ग्राम पंचायत द्वारा कई बार आश्वासन भी दिया गया लेकिन अभी तक बच्चों को किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिली है|

छात्र ऋषिकेश यादव का कहना है की फर्स बहुत ही उबड़-खाबड़ है कई महीने से धस रही है इसी पर बैठते है और छात्रा पिंकी का कहना है की ये धस कर गिर भी सकता है इस पर ईंटे रहते है तो चोट भी लगता है| साथ ही उससे उड़ने वाली बालू नाक और मुँह में घुसती है| जिससे कीटाणु फैलने का डर बना रहता है और खाना में जाता है तो बिमारी फैलती है!

रतनाकर राय प्रधानाध्यापक का कहना है की विधान सभा चुनाव में साहब की चिट्ठी आई थी जो ग्राम प्रधान को उपलब्ध कराई गई उन्होंने दस मीटर खुदवाया और दो गाड़ी ईंटा गिरवाया जब चुनाव हो गया तो ईंटे उठा ले गए आज तक बाउंड्री नहीं बनी|

खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है हम लोग बार-बार जा कर अनुरोध करते है बीडीओ और एडीओ से लिखित भी दिया गया है मास्टर, हेडमास्टर भी गए थे| लेकिन बनवाने का भरोशा ही मिलता है बनवा नहीं रहे हैं|

रविंद्र यादव एडीओ पंचायत का कहना है की प्रधान और सिक्रेट्री को निर्देशी कर दिया गया है यहाँ 94 ग्राम पंचायते है सब में काम चल रहा है उसमे भी काम लग जायगा हमने गाँव में सभी चीजों को ठीक कराया है नालियां सड़क ये भी करवाया जायेगा| लेकिन तीन साल बीतने को हो रहा है अभी तक नहीं हुआ है| किसी भी निचे दिए गए लिंक पर क्लीक कर के आप इस खबर की स्टोरी भी आप देख सकते हो

 

एक और  ऐसी समस्या  जिला वाराणसी,ब्लाक हरहुआ, गाँव मझभिटीया की है| यहां के प्राथमिक विधायक में आज ठड के चलते 65.बच्चे में से पांच बच्चे आये स्कुल ।

यहां के टीचर का कहना है कि एक से पांच तक है लेकिन आज तो ठड के चलते पांच बच्चे ही स्कुल आये हैं और अपने कामों को पुरा कर रहे हैं स्कुल में लम्बी छुटी होने से आज बच्चे कम आये हैं और जब धुप होगा तो रोज स्कुल खुलेगा तो आये गे बच्चे।

https://www.facebook.com/khabarlahariya/photos/a.428593643864090/2804745122915585/?type=3&theater

 

 

भारत की ज्यादातर आबादी आज भी गांवों में बसती है इसलिए भारत में ग्रामीण शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है।शिक्षा की वार्षिक स्थिति पर रिपोर्टनाम के सर्वे से पता चलता है कि भले ही ग्रामीण छात्रों के स्कूल जाने की संख्या बढ़ रही हो पर इनमें से आधे से ज्यादा छात्र दूसरी कक्षा तक की किताब भी नहीं पढ़ पाते गणित की तो बात ही पूछो 5 विन कक्षा के बच्चे जोड़ घटाव तक नहीं बना पाते। भले ही सर्व शिक्षा अभियान चलाये गए हों ताकि विधालय में शिक्षा की गुणवत्ता बढे लेकिन उनकी दिशा सही नहीं है। सर्वे में इसे लेकर जो कारण बताया गया है वो एक से ज्यादा ग्रेड के लिए एकल कक्षा की बढ़ती संख्या है। 

शिक्षा की गुणवत्ता और उसकी पहुँच भी ग्रामीण स्कूलों के लिए  चिंता का विषय है और वहां शिक्षकों की कमी, स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों की कमी और पढ़ने के सामान की कमी भी है ऐसी है शिक्षा व्यवस्था ।  गाँव  में रहने वाले ज्यादातर लोग शिक्षा की महत्ता को समझ चुके हैं और यह भी जानते है कि गरीबी से निकलने का यही एक रास्ता है। लेकिन पैसों की कमी के कारण वे लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं भेज पाते और शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों पर निर्भर रहते हैं। इस सबके अलावा कुछ सरकारी स्कूलों में पूरे स्कूल के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक होता है और यदि वह भी काम पर ना आए तो स्कूल की छुट्टी रहती है। यदि इन स्कूलों में क्वालिटी के साथ साथ शिक्षकों की संख्या, वो भी प्रतिबद्ध शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए तो इच्छुक ग्रामीण बच्चे और भारत देश कुछ महान काम करके अपने सपनों को साकार कर सकता है।