जिला चित्रकूट ब्लाक मऊ गांव कोलमजरा के रहने वाले बुज़ुर्ग जगरनाथ प्रजापति सर्दी के मौसम से ही गर्मियों के लिए मिट्टी का घड़ा बनाना शुरू कर देते हैं। उनका कहना है कि इस समय घड़े बनाने से पानी फ्रीज़ से भी ज़्यादा ठंडा रहता है। जिसकी वजह से वह इसी समय से घड़े बनाना शुरू कर देते हैं जगरनाथ प्रजापति का कहना हैं कि वह सर्दी के मौसम में घड़े बनाकर रख लेते हैं। इसके बाद वह मार्च के महीने में घड़े को भट्टी में अच्छे से पक्का लेते हैं, जिससे कि घड़ा मज़बूत हो जाता है। उन्होंने कहा कि उनके घड़े का पानी चार महीने तक ठंडा रहता है।
जगरनाथ प्रजापति घड़े बनाने के लिए सबसे पहले दस किलो मीटर चलकर सिंगाई मिट्टी लेकर आते हैं। फिर उसे रात भर पानी में डालकर फूलने के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद सुबह-सुबह वह मिट्टी को अच्छे से सानते है और फिर सानने के बाद मिट्टी को पीटते है। उनका कहना है कि वह एक दिन में 20 से 25 मटके बना लेते हैं, जो बनाना आज के बच्चों के बस की बात नहीं है।
सर्दीयों में बनाए घड़े देते हैं ठंडा पानी
फ्रीज़ के आने पर अब लोगों द्वारा मटकों को खरीदना कम हो गया है। लेकिन कई पुराने और गांव के लोगों को अभी-भी घड़े का पानी-पीना अच्छा लगता है। इसलिए वह लोग ही मटका खरीदते हैं। वह उन्हीं के लिए मटके बनाते हैं। उनका कहना है कि सर्दी और गर्मी में बनाए गए मटकों में काफ़ी फर्क़ होता है। जो घड़े गर्मी के समय बनाये जाते हैं वह पानी को ज़्यादा ठंडा नहीं करते, वहीं सर्दी में बनाए गए घड़े गर्मियों में पानी को ज़्यादा ठंडा रखते हैं।
फ्रीज के आने से रोज़गार में आयी कमी
जगरनाथ प्रजापति का कहना है कि पहले लोग गाय-भैंस, बकरी आदि का दूध पकाने के लिए मिट्टी के बर्तन ले जाते थे। लेकिन अब स्टील के बर्तन आने की वजह से, वह भी कम हो गया है। उनका कहना है कि गरीब लोग अभी भी घड़े खरीदते हैं। वह बताते हैं कि उनके पिताजी सर्दियों में ठंडे पानी से ही घड़ा बनाते थे।
वह कहते हैं कि इतनी मेहनत के बाद भी वह एक घड़ा 50 से 60 रुपये में बेच पाते हैं। लेकिन अब सब कुछ बन्द होने की वजह से, उन्हें इतना भी नहीं मिल पा रहा।जब वह घड़े नहीं बनाते तो किसानी करके वह अपना घर-परिवार चलाते हैं। लेकिन इतना भी उनके लिए काफ़ी नहीं हो पता। घड़े की कम बिक्री से प्रजापति काफ़ी परेशान है।
2020 में प्रधानमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री लघु उद्योग योजना की शुरुआत की गई थी। जिसमें यह कहा गया था कि सरकार छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लोगों को ऋण प्रदान करेगी। लेकिन सवाल यह है कि जब लोगों की इन योजनाओं तक पहुंच ही नहीं तो वह योजना का लाभ कैसे उठाएं? क्या योजना बना देने से, घड़े बनाने जैसे छोटे उद्योगों में बढ़ोतरी हो जाएगी? क्योंकि जगरनाथ प्रजापति को देखकर तो यह नहीं लगता।