दहेज से जुड़े हज़ारों हत्याओं व प्रताड़नों के मामले दर्ज होने के बावजूद भी पुरुष प्रधान समाज में यह हत्याएं, हिंसा व प्रातड़नायें आज भी समाज की शाख बचाये रखने के नाम पर की जा रही हैं।
पुरुष प्रधान समाज में दहेज प्रथा…. एक महिला की हत्या करने की तरफ समाज का वह कदम है जिसे महिला को विवाहित सुख देने के नाम पर रिवाज़ की तरह सदियों से निभाया जाता रहा है। वह रिवाज़ जिसने महिला व उसके परिवार को हमेशा दरकिनार किया, उन्हें दयनीय बनाया, उन्हें प्रताड़ित किया। सामाजिक जीवन के सुख के नाम पर, उनसे बस छीना। इतना की जब सहन नहीं हो पाया तो दहेज की मांग करने वालों ने उनकी हत्या कर दी। समाज में बैठे लोग इसे आत्महत्या और रिवाज़ कहते रहे और इसे निभाते रहे। निभा रहे हैं।
एमपी के छतरपुर जिले की 22 वर्षीय महिला सविता अहिरवार की भी दहेज़ प्रथा के रिवाज़ ने हत्या कर दी। वह रिवाज़ जिसके नाम पर की जा रही प्रताड़ना को हिंसा नहीं बल्कि समाज में मांगने का हक कहा गया है। इस दहेज़ की मांग में आज तक कभी बेशर्मी नहीं महसूस की गई बल्कि गर्व महसूस किया गया। कभी लेने में तो कभी देने में। देने में सिर्फ तब जब वह समाज में प्रतिष्ठित जगह व आर्थिक रूप से सुदृढ़ जगह से आते हैं। जो समाज की इन जगहों से नहीं आते, यह रिवाज़ उन पर ऐसे थोप दिये गए हैं कि अगर वे इसे नहीं निभा पाते तो समाज से बहिष्कृत हो जाते हैं।
हाथों में ज़हर थमा दिया
मामला एमपी के छतरपुर जिले के थाना खजुराहो क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धारवाड़ पंचायत के भरवा गांव का है। 20 अप्रैल, शनिवार को 22 वर्षीय सविता अहिरवार की ससुराल वालों की दहेज़ की मांग व प्रताड़ना ने हत्या कर दी। उसके साथ मानसिक व शारीरिक रूप से इतनी हिंसा की कि उस प्रताड़ना ने उसके हाथों में ज़हर लाकर थमा दिया और उसे इस ज़हर को पीने पर मज़बूर कर दिया।
खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार, इलाज के दौरान महिला ने आखिरी साँसे लेते हुए प्रताड़ना से भरे अपने शरीर को छोड़ दिया।
थाने में दहेज़ हिंसा की शिकायत के बाद भी नहीं हुई थी कार्यवाही
मृतिका की माँ ने खबर लहरिया को बताया, उनकी बेटी की शादी लगभग दो साल पहले कतरवारा गांव के जगदीश अहिरवार से हुई थी। उनकी बेटी ने उन्हें बताया था कि शादी के बाद से उसके साथ ससुराल वाले दहेज़ को लेकर मारपीट करने लगे।
सालों तक हिंसा सहने के बाद हत्या से 15 दिन पहले उसने अपने परिवार को फोन करके इस बारे में बताया। इसके बाद परिवार महिला को मायके ले आया।
दहेज़ व हिंसा को लेकर परिवार ने राजनगर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज़ करवाई। पुलिस ने एफआईआर भी लिखी लेकिन आरोप के अनुसार पुलिस ने इसे लेकर कोई कार्यवाही नहीं की।
मृतिका की माँ ने बताया, “टेंशन में आकर उसने ज़हर खा लिया।”
आगे बताया, शनिवार को 1:30 बजे वे लोग रिश्तेदार के यहां शादी में गए थे। वह घर में अकेली थी। उन्हें पता नहीं चला कि उनकी बेटी ने ज़हर खा लिया है। जब वह शाम को 4 बजे के लगभग घर पहुंचे तो इसके बाद वह उसे जिला अस्पताल लेकर गए। हालत गंभीर होने की वजह से उसे छतरपुर जिले के अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
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गंभीर अवस्था में पहुंची थी अस्पताल
छतरपुर जिले के जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि गंभीर अवस्था में महिला को लाया गया था। 5 घंटे तक इलाज चला और इसके बाद उसकी मौत हो गई।
मामले की कार्यवाही बाकी
मामले को लेकर एडिशनल एसपी विक्रम सिंह ने बताया, मृतिका के परिवार ने ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पोस्टमॉर्टम के बाद मृतिका के शरीर को परिवार को सौंप दिया गया है। कहा, मामले की जांच पड़ताल की जायेगी। अगर ससुराल पक्ष से कोई दोषी पाया जाएगा तो उसके ऊपर कानूनन कार्यवाही की जाएगी।
दहेज हत्या के इस मामले में न सिर्फ समाज ज़िम्मेदार रहा बल्कि देरी से कार्यवाही भी। दहेज से जुड़े हज़ारों हत्याओं व प्रताड़नों के मामले दर्ज होने के बावजूद भी पुरुष प्रधान समाज में यह हत्याएं, हिंसा व प्रातड़नायें आज भी समाज की शाख बचाये रखने के नाम पर की जा रही हैं।
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गई है।
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