ट्रंप ने कहा कि चीन व भारत जैसे देशों से आये नागरिकों का आव्रजन स्तर सबसे ज़्यादा ऊँचा है और उन्होंने जन्मसिद्ध नागरिकता प्रणाली का विशेष तौर पर गलत इस्तेमाल किया है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 20 जनवरी 2025 अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली व राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की। ट्रंप को वॉशिंगटन के कैपिटल में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने शपथ दिलाई।
शपथ के बाद अपने भाषण की शुरुआत करते हुए ट्रंप ने कहा कि, “अमेरिका का सुनहरा युग अभी से शुरू हो रहा है।”
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को X पर पोस्ट शेयर करते हुए बधाई दी। उन्होंने ट्रंप को “प्रिय मित्र” की तरह संबोधित करते हुए लिखा कि वह दोनों देशों के बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए एक बार फिर से साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करते हैं।
Congratulations my dear friend President @realDonaldTrump on your historic inauguration as the 47th President of the United States! I look forward to working closely together once again, to benefit both our countries, and to shape a better future for the world. Best wishes for a…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 20, 2025
जहां एक तरफ़ ट्रंप और पीएम मोदी के बीच दोस्ती होने का दावा किया जाता है, वहां ट्रंप ने शपथ लेते ही जन्म से मिली हुई नागरिकता/जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका असर भारतीय अमेरिकन पर पड़ सकता है।
यह 20 जनवरी को ज़ारी किये कई आदेशों में से एक है। इसका उद्देश्य उन बच्चों को अपने आप मिलने वाली नागरिकता से रोकना है, जो उनके माता-पिता द्वारा अमेरिका में अवैध रूप से प्रवास करने पर मिली है।
पिउ रिसर्च सेंटर की अगस्त 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, यू.एस सेन्स ब्यूरो का डाटा बताता है कि साल 2022 में अमेरिका में लगभग 4.8 मिलियन भारतीय लोग थे, जो कि देश के एशियन अमेरिकन आबादी का लगभग 20 प्रतिशत है।
डाटा यह भी बताता है कि लगभग दो-तिहाई भारतीय अमेरिकन लोग (66 प्रतिशत) प्रवासी हैं, जबकि 34 प्रतिशत यू.एस में जन्मे हैं। वहीं लगभग आधे भारतीय अमेरिकन सिर्फ इन चार राज्यों में : कैलिफ़ोर्निया – 20 प्रतिशत, टैक्सेस – 12 प्रतिशत, न्यूजर्सी – 9 प्रतिशत और न्यूयॉर्क – 7 प्रतिशत।
जन्मसिद्ध नागरिकता को लेकर जारी आदेश में क्या है?
ट्रंप द्वारा साइन किये गए कार्यकारी आदेश में कहा गया कि अमेरिका में जन्मे बच्चे को नागरिकता प्राप्त करने के लिए माता-पिता में से किसी का एक अमेरिकी नागरिक होना ज़रूरी है। साथ ही वह वैध स्थायी निवासी (ग्रीन कार्ड धारक) या अमेरिकी सेना के सदस्य होने चाहिए।
नई नीति के तहत अमेरिका में जन्म लिए हुए बच्चों को अमेरिका की नागरिकता नहीं दी जायेगी। अगर उनके पिता अमेरिकी नागरिक नहीं है, या उनके पास वैध स्थायी निवास नहीं है, या उनके पास अस्थायी वीजा है – जैसे छात्र, काम या पर्यटन वीजा।
यह बदलाव 30 दिनों के अंदर लागू होगा। इस कदम के खिलाफ़ आव्रजन समर्थकों ने सोमवार शाम को एक मुकदमा दायर किया। उन्होंने तर्क दिया कि यह फैसला अमेरिका की सदियों पुरानी नीति और क़ानून व्याख्याओं को पलटने का काम कर रहा है।
आव्रजन समर्थक, वे लोग होते हैं जो अलग-अलग समुदायों के प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करते हैं। इनमें मानवाधिकार संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता,वकील इत्यादि लोग काम करते हैं।
जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म होने से भारतीय अमेरिकन को क्या ख़तरा?
– अमेरिका में जन्मे भारतीय माता-पिता के बच्चों को, चाहें उनके वीजा की स्थिति कुछ भी हो, अब उन्हें जन्म से मिलने वाली नागरिकता नहीं मिलेगी।
– अमेरिका में जन्म लिए हुए बच्चे 21 साल की उम्र पूरे होने के बाद अपने माता-पिता को अमेरिका लाने की याचिका दायर नहीं कर पाएंगे, अगर उन्हें जन्मसिद्ध नागरिकता नहीं मिलती तो।
– यह नीति जन्म पर्यटन खत्म करने को लेकर भी है। जन्म पर्यटन, बच्चे को जन्म देने के लिए किसी दूसरे देश या शहर में जाने की प्रथा को कहा जाता है। यह अमूमन बेहतर अवसरों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे मातृत्व पर्यटन भी कहा जाता है।
– गैर-आव्रजन वीजा पर अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
गैर-आव्रजन वीजा, उसे कहते हैं जो किसी व्यक्ति को किसी अन्य देश में एक निश्चित अवधि में रहने के लिए जारी किया जाता है। यह वीजा आमतौर पर पढ़ाई करने वाले छात्रों,काम, यात्रा या किसी विशेष उद्देश्य से जाने वाले लोगों के लिए होता है।
जन्मसिद्ध नागरिकता क्या है?
जन्मसिद्ध नागरिकता के अनुसार, अमेरिका की जमीन पर पैदा हुए किसी भी व्यक्ति को अपने आप अमेरिका की नागरिकता मिल जाती है। चाहें उनके माता-पिता की नागरिकता या आव्रजन स्थिति कुछ भी हो।
यह प्रावधान 1868 में लागू किया गया था। इस प्रावधान का उद्देश्य अमेरिका में जन्मे सभी लोगों को नागरिकता देना था।
14वें संसोधन से संबंधित एक हिस्से में कहा गया है, “संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्में या जो पहले से ही वहां हैं, वे सभी व्यक्ति वहां के न्यायालय के अधीन, अमेरिका और उस राज्य के नागरिक होते हैं जहां वे निवास करते हैं।”
जन्मसिद्ध नागरिकता की उत्पत्ति संविधान के 14वें संसोधन से होती है जिसे, 1868 में मंज़ूरी दी गई थी। यह अमेरिका के गृह युद्ध के तीन साल बाद आया था।
जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने की ट्रंप ने बताई ये वजह
ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने के फैसले को लेकर साफ़ किया कि उनके लिए यह ‘बेतुका’ है। उनका असली मक़सद अवैध आव्रजन को खत्म करना है।
अवैध आव्रजन का मतलब है, किसी व्यक्ति द्वारा बिना किसी क़ानूनी अनुमति के किसी देश में प्रवेश करना या वहां रहना।
ट्रंप ने कहा कि चीन व भारत जैसे देशों से आये नागरिकों का आव्रजन स्तर सबसे ज़्यादा ऊँचा है और उन्होंने जन्मसिद्ध नागरिकता प्रणाली का विशेष तौर पर गलत इस्तेमाल किया है।
एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि, “मैं परिवारों को अलग नहीं करना चाहता। इसका एक रास्ता यही है कि हमें सभी को वापस भेजना होगा।” इसका मतलब यह है कि जो क़ानूनी तौर पर वहां के नागरिक हैं, उन्हें भी परिवार को साथ रखने के नाम पर देश से बाहर निकाला जाएगा।
जन्मसिद्ध नागरिकता को ख़त्म करने की क़ानूनी प्रक्रिया है लंबी
ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता कानून को ख़त्म करने के लिए आदेश तो दिया है लेकिन इसकी क़ानूनी लड़ाई व प्रक्रिया काफ़ी लंबी है। अमेरिकी संविधान में संसोधन के लिए सदन और सीनेट दोनों में दो-तिहाई मत की ज़रूरत होती है। इसके साथ ही राज्य विधानसभाओं से तीन-चौथाई मत की स्वीकृति की भी आवश्यकता होती है।
नए सीनेट में डेमोक्रेट्स के पास 47 सीटें हैं। रिपब्लिकन्स के पास 53 सीटें हैं। हाउस में डेमोक्रेट्स के पास 215 सीटें हैं और रिपब्लिकन्स के पास 220 सीटें हैं।
अपने दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने ऐसे कई फ़ैसले लिए हैं जिन पर विवाद ज़ारी है।
(स्त्रोत – बीबीसी, सीएनबीसी टीवी 18, इंडिया टुडे)
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