विकलांग महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को लेकर कोई संयुक्त व पर्याप्त डाटा नहीं है।
यूपी के फिरोजाबाद में 17 साल की विकलांग दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। नेशनल हेराल्ड की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार 14 अक्टूबर को वह बकरियां चराने के लिए घर से निकली थी। घर से 200 मीटर दूर बाजरे के खेत में दो आरोपियों द्वारा उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
सर्वाइवर के चाचा ने बताया, “हमने उसे आंशिक रूप से नग्न और खून से लथपथ पाया। उसने सांकेतिक भाषा के माध्यम से बताया कि दो लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया था।”
फिर वह उसे तुरंत फिरोजाबाद जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर ले गए। वहां से उसे आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
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आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज़
मामले को लेकर एडिशनल एसपी सर्वेश कुमार मिश्रा ने कहा,”मेडिकल जांच में लड़की के प्राइवेट पार्ट्स में चोट लगने की पुष्टि हुई है। हम उसकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट और अन्य परीक्षण परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस ने पीड़िता के चाचा की शिकायत के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।”
गांव वालों ने बताया कि सर्वाइवर गरीब परिवार से है। उसके पिता, चाचा और बड़े भाई, सब मज़दूरी करते हैं। सर्वाइवर को सीखने व बोलने में कठिनाई आती है जिसे अंग्रेजी में person with learning disability/ पर्सन विद लर्निंग डिसएबिलिटी कहा जाता है।
अतः. लगभग आधा महीना बीत जाने के बाद भी मामले को लेकर कोई अपडेट नहीं है कि आरोपियों को अब तक पकड़ा गया है या नहीं।
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विकलांग महिलाओं के साथ क्राइम के नहीं हैं आंकड़े
सवाल की बात यह है कि विकलांग महिलाओं के साथ बढ़ते क्राइम मामलों को लेकर कोई संयुक्त डाटा ही नहीं है। लाइव मिनट की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 90 से अधिक व्यक्तियों, विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) विकलांग लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर अलग-अलग डाटा बनाये।
पत्र में उन्होंने कहा, “हम आपसे यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का आग्रह करना चाहते हैं कि एनसीआरबी अलग-अलग डेटा बनाए जिसमें हिंसा और शोषण के मामलों में लिंग, आयु, निवास स्थान, अपराधी के साथ संबंध, सिर्फ यह यहीं तक सीमित न हो बल्कि इसमें हिंसा के मामलों में विकलांगता, विकलांग महिलाओं व लड़कियों के साथ होने वाली लिंग-आधारित हिंसा भी शामिल हो।”
गृह मंत्री से इस गंभीर मुद्दे पर निवेदन करने के बावजूद इसका कोई परिणाम नहीं निकला। अगर आप आज भी इससे संबंधित कोई आंकड़ा गूगल पर खोजने का प्रयास करेंगे तो आज भी आपको कुछ जानकारी नहीं मिलेगी। क्या विकलांग महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा, हिंसा नहीं है जो इसके आंकड़े कहीं पर भी सुरक्षित नहीं किये गए हैं, या इकठ्ठा किये गए हैं?
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