सब कुछ सहेंगे लेकिन सरकार से सवाल नहीं करेंगे क्योंकि लोगों का मामना है कि जब भी किसी भी मामले पर सरकार से सवाल किया जाता है तो सीधे उस व्यक्ति को देशद्रोही करार दिया जाता या उसके ऊपर कार्यवाही हो जाती है। जबकि सरकार से सवाल पूंछना या सवाल उठाना लोगों का अधिकार है लेकिन तानाशाही सरकार के राज में लोगों को डराने के लिए ही ये कदम उठाए जा रहे हैं। ठीक है आम लोग तो माँ जाएंगे लेकिन विपक्ष के लोग या पार्टियां तो सवाल उठाएंगी ही।
कांग्रेस पार्टी की नेता संपत पाल कहती हैं कि अगर लोगों के हिट की बात करने में कार्यवाही होनी है यो हो इसका डर नहीं है और वह बार बार सवाल उठाएंगी। आम लोग की सुनने वाला है कौन। उनके सवाल उठाने से कोई फायदा है। खूब धरना प्रदर्शन होते हैं लेकिन अंधी बहरी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
खुरहन्ड निवासी एक व्यक्ति कहते हैं कि वह अभी सवाल नहीं करेंगे मौके पर आकर सवाल करेंगे और सरकार को जवाब भी देंगे। सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत जनता में है लेकिन कार्यवाही के नाम पर डरा दिया जाता है।
लॉकडाउन के समय लोगों को दारू नहीं खाना की जरूरत है लेकिन सरकार ने लोगों के खाने की परवाह न करके अपने खाने की सोची। यही बड़ा सवाल है जो सरकार की नियति को स्पष्ट करती है। जबकि विपक्षी पार्टियों को जनता की आवाज बुलंद करना चाहिए वरना देश फिर से गुलाम होने की तरफ बढ़ रहा है।