गांवन मा चार छह मेहरिया एक जघा बइठे चउरा दरबार करत देखाइन जात हैं। मेहरियन का इनतान बइठब मतलब मेहरियन का प्रपंच। या मैं नहीं कहतिव मड़इन का अक्सर कहत सुनेव हौं। मोरे मन मा आवा कि या बहुतै हंसी मज़ाक के बात है। काहे न यहिके खबर कीन जाय।
जासूस दरबारिन बनके जानेव प्रपंच का राज
जासूस दरबारिन बनके एक दिन या चउरा दरबार मा मैं भी शामिल होई गईंव। आहा…का बात रहै भाई, खूब हंसी मज़ाक। एक दूसरे के हाल–चाल, एकदम पारिवारिक माहौल जइसे बात होत रहैं। बस हर दरकी मोर मुंह कइत देखके चोरी–चोरी हंसत रहैं। महूं कम नहीं उनके या चोरी छिपे वाली हंसी का भांप के बोलिन दीनेव। पूंछेव कि तुम मास्क देखके काहे हंसती हौ। उनमा से एक बोली कि एक दिन दवाई करावै वा सरकारी अस्पताल गे रहै अपने मनसवा के साथै। उंई दूनौ जन मास्क न लगाएं रहैं तौ डॉक्टर खूब फटकारिस। कहिस कोरोना बीमारी के रोज मरीज बढ़त जात हैं अउर तुम मास्क भी नहीं लगायेव? डॉक्टर कहिस कि अगर दवाई करावै का होय तौ मास्क लगा के अएव। तुरतै अस्पताल के बाहर निकल के दुकान से मास्क खरीद लाएं और लगा लिहिन और होई गईं दवाई।
डॉक्टर बताइस कोरोना से बचाव के उपाय
दवाई करावै के बाद घर आवै लाग तौ डॉक्टर एक–एक बात समझाइस। कहिस कि मास्क लगावब और दुई गज के दूरी बनाए राखब बहुतै जरूरी है। या बीमारी एक–दूसरे के छुवै से और हिंया तक कि कपड़न से भी होई सकत है। यहिसे भीड़भाड़ से वापस घर जाय मा सब कपड़ा धोवब जरूरी है। होई सकै तौ नहा लेव तौ अउर नींक है। वहिकर मनसवा डॉक्टर के बातैं सुन तौ लिहिस पै पूरी रास्ता बड़बड़ात चला आवा। मेहरिया तौ नहा लिहिस पै मनसवा न नहाइस न कपड़ा धोइस। ऊपर से मेहरिया के ऊपर चिल्लात कहिस कि या काम वहिके बस से बाहर है। वा मेहरिया के बात सुनके दूसरे फिर तीसर फिर चौथ और धीरे–धीरे सबै बतावैं लागी कि उनके घर के चाहे लड़का होंय या मनसवा कउनौ कोरोना से बचै के नियम का पालन नहीं करय अउर न ही उनकर कहा बोल मानै।
कोरोना का लइके कउन केतना जिम्मेदार
या सब सुनके मैं हैरान रही गईंव। जउन मड़ई मेहरियन का एक साथै बइठत देख बस गलत भावना पाल लेत हैं उनसे मोर कइयौ सवाल हैं। उंई मड़ई अपने परिवार का स्वस्थ्य राखै के जिम्मेदारी काहे नहीं लेत? चउरा दरबार मा सिर्फ वहै बात नहीं होत जउन उंई सोचत हैं इनतान के सोच काहे राखत हैं? तुम्हार सोच से या प्रपंच बहुत–बहुत आगे है।