खबर लहरिया Blog Demonstration by Farmer for Onion: जब प्याज़ का हुआ अंतिम संस्कार, किसानों ने प्याज़ की शव यात्रा निकालकर जताई पीड़ा 

Demonstration by Farmer for Onion: जब प्याज़ का हुआ अंतिम संस्कार, किसानों ने प्याज़ की शव यात्रा निकालकर जताई पीड़ा 

प्याज की कीमतें इतनी नीचे गिर गई थीं कि किसानों को उत्पादन लागत तो छोड़िए परिवहन का खर्च भी वापस नहीं मिल रहा था। इसी गुस्से और बेबसी ने किसानों को यह विरोध करने पर मजबूर कर दिया।

फोटो साभार: दैनिक भास्कर                                  

आंदोलन करने के तरीके कई होते हैं कहीं लोग भूख हड़ताल करते हैं कहीं मौन जुलूस निकालते हैं तो कहीं धरना देकर अपनी बात रखते हैं लेकिन मंदसौर के किसानों ने अपना विरोध जताने का जो तरीका चुना वह बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला था।

मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के धमनार गांव में किसानों ने प्याज की अर्थी सजाकर उसकी अंतिम यात्रा निकाली। बैंड-बाजे, कफन, फूलों और शोक गीतों के साथ निकली। यह यात्रा किसी असली शवयात्रा की तरह दिखाई दे रही थी। कई किसान तो भावुक होकर रो पड़े जैसे किसी अपने को विदा कर रहे हों। शायद ये आंसू किसानो की तकलीफ़ों को बया करती हैं जहां हर किसान परेशान नजर आते हैं। 

दरअसल प्याज की कीमतें इतनी नीचे गिर गई थीं कि किसानों को उत्पादन लागत तो छोड़िए परिवहन का खर्च भी वापस नहीं मिल रहा था। इसी गुस्से और बेबसी ने किसानों को यह विरोध करने पर मजबूर कर दिया। फूलों से सजाई गई प्याज की अर्थी को पूरे गांव में घुमाकर श्मशान घाट तक ले जाया गया जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया। ढोल और बैंड-बाजे के बीच किया गया यह प्रदर्शन किसानों की गहरी पीड़ा और उनकी टूटती आजीविका का सशक्त संदेश था।

प्याज के दाम गिरकर 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल

पहले प्याज की कीमतें किसानों को थोड़ी राहत दे रही थीं लेकिन अब हालात बिल्कुल उलट गए हैं। मंडियों में प्याज के दाम गिरकर 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। किसानों का कहना है कि इतने कम मूल्य पर बेचने से उनका आने-जाने का किराया भी पूरा नहीं हो पा रहा। ऐसे में खेती में लगाया गया पैसा वापस मिलना तो दूर की बात रह गई है। मालवा-निमाड़ प्रदेश का वह इलाका है जहां बड़ी मात्रा में प्याज उगाई जाती है। लेकिन यहां के किसान इस समय बुरी तरह परेशान हैं क्योंकि उनकी प्याज सिर्फ 1 से 10 रुपये किलो में बिक रही है जबकि उत्पादन की लागत ही 10–12 रुपये पड़ती है। किसानों का कहना है कि लंबे समय से प्याज पर 25 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा हुआ है। इसी कारण भारतीय प्याज की विदेशों में बिक्री नहीं हो पा रही और कीमतें लगातार गिरती जा रही हैं।

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तहसीलदार को ज्ञापन 

किसानों ने अपना ज्ञापन तहसीलदार रोहित सिंह राजपूत को सौंपा। राजपूत ने बताया कि किसानों ने प्याज के दाम बढ़ाने और सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसानों ने प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार भी किए हैं जिसकी जानकारी कलेक्टर को भेजी जाएगी और आगे सरकार तक पहुंचाई जाएगी।

मंदसौर जो कृषि आंदोलनों के लंबे इतिहास के लिए जाना जाता है वहां के किसानों ने साफ कहा है कि अभी तो यह विरोध की शुरुआत है। उनका कहना है कि अगर निर्यात शुल्क नहीं हटाया गया और प्याज का सही दाम जल्द तय नहीं किया गया तो वे पूरे इलाके में आंदोलन और तेज करेंगे।

किसानों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार से निर्यात शुल्क घटाने की मांग की लेकिन केंद्र ने अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया। किसानों ने यह भी याद दिलाया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस समय देश के कृषि मंत्री हैं फिर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

किसानों का कहना है कि अगर प्याज के दाम जल्द नहीं बढ़े तो उनकी आर्थिक हालत और खराब हो जाएगी। वे प्रशासन से तुरंत राहत देने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने साफ कहा है कि यदि समस्या का हल नहीं निकला तो वे अपना विरोध और ज़्यादा कड़ा और तेज करेंगे।

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