खबर लहरिया चित्रकूट बेटे की चाह की कीमत चुका रहीं हैं बेटियां

बेटे की चाह की कीमत चुका रहीं हैं बेटियां

बेटी पैदा करना महिलाओं की गलती है? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट मेंएक तरफ सरकार ना जाने कितनी तरह की योजनाएं ला रही हैं, बेटी बचाओ से लेकर के सुकन्या धन योजना और भी न जाने क्या क्या? लेकिन इस सबके बावजूद कई लोगों की मानसिकता बदलने का नाम भी नहीं ले रही है\। कई लोग आज भी बेटे की चाह देखने को मिलती है  बेटा और बेटी में फर्क महसूस करते है।

लोगों की सोच आज भी इसी लक्ष्मण रेखा पर रूकी हुई है तभी तो बेटे की चाह में कई कई बेटियां जन्म ले रही हैं ऐसे ही कुछ महिलाओं से आपको मिलवाते हैं जिन्हें बेटियां होने पर ताने मिलते हैं। चित्रकूट जिले की ब्लॉक मानिकपुर गांव देउधा की महिलाओं से बात की उन महिलाओं से जिनके पास बेटे नहीं थे और बेटे पैदा करने के चक्कर मे पांच-पांच बेटियां हो गई।बेटी पैदा करना महिलाओं की गलती है? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट में

उन्होंने बताया बेटे न होने से उन लोगो पर परिवार का दबाव रहता था समाज के ताने घर वालो की बाते सुननी पडती की इनके बेटी ही बेटी हैं और फिर बेटे के चक्कर मे बेटियां बढती गई, महिलाओं ने ये भी कहा की मजबूरी थी उन्हें हरहाल मे बेटा पैदा करना क्योंकि बेटा जरूरी है बेटा नहीं होता तो वंश नहीं चलता। बेटियां पराई हैं इसलिए हमे बेटा हमें बेटा चाहिए ही और घरवालों का दवाब भी बहुत होता है।

बेटियों के होने पर कोई खुश नहीं होता बेटे होते हैं तो ढोल बाजे बजते हैं खुशियां मनाते हैं डाक्टर निलिमा महिला रोग्य विशेषज्ञ ने बताया की चाहे। बेटी हो या बेटा जल्दी-जल्दी बार-बार बच्चे होने से महिलाओं के स्वास्थ्य में असर पडता है। आज भी ग्रामीण स्तर पर लोग नहीं मानते। अपनी मानसिकता नहीं बदलते।