नेपाल में शुक्रवार 3 अक्टूबर 2025 से कल रविवार 5 अक्टूबर तक भूस्खलन और बाढ़ की वजह से करीब 53 लोगों की मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में 23 लोगों की मौत हुई।
दार्जिलिंग में भूस्खलन (Darjeeling Landslide)
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार 5 अक्टूबर को दार्जिलिंग की पहाड़ियों और आसपास के इलाकों में लगातार बारिश हुई। इसकी वजह से भूस्खलन में बच्चों समेत करीब 23 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन ने रिपोर्ट साझा की। इस रिपोर्ट के अनुसार, जलपाईगुड़ी जिले के कई स्थानों – सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धार गांव (मेची), मिरिक झील क्षेत्र और नागराकाटा क्षेत्र से मौतें हुई हैं।
एएनआई ने सोशल मीडिया X पर वीडियो शेयर की। इसमें देखा जा सकता है कि दार्जिलिंग में तीस्ता नदी पर बना दुधिया लोहे का पुल ढह गया है। इसकी वजह से सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग एसएच-12 सड़क पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है।
#WATCH | West Bengal Movement of vehicles has been restricted on the Siliguri-Darjeeling SH-12 road after a portion of Dudhia iron bridge collapsed due to heavy rain in North Bengal. pic.twitter.com/0Rv61YekTa
— ANI (@ANI) October 5, 2025
दस साल बाद इस तरह का भूस्खलन
भूस्खलन में घर बह गए, सड़कें कट गईं, गांव अलग हो गए और सैकड़ों पर्यटक फंस गए। बताया जा रहा है इस तरह का भूस्खलन अब तक 10 साल बाद आया है। इससे पहले 2015 में इतना भयानक भूस्खलन आया था। इस आपदा में 40 लोगों की मौत हुई थी।
दार्जिलिंग में पर्यटक स्थल और टॉय ट्रेन सेवा बंद
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन ने दार्जिलिंग के टाइगर हिल और रॉक गार्डन सहित सभी पर्यटन स्थलों को बंद करने का फैसला किया है। इसके साथ ही टॉय ट्रेन सेवाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी उत्तर बंगाल का दौरा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालात को देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय नबान्न में एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसके साथ ही एक 24×7 नियंत्रण कक्ष खोला है। उन्होंने कहा कि वह स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार 6 अक्टूबर को उत्तर बंगाल का दौरा करेंगी।
आपदा में फंसे हुए पर्यटकों और निवासियों के लिए बंगाल पुलिस ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। मदद के लिए वे हेल्पलाइन नंबर 9147889078 पर कॉल कर सकते हैं।
नेपाल में भूस्खलन (Nepal Landslide)से 53 लोगों की मौत
नेपाल में भी शुक्रवार 3 अक्टूबर से रविवार तक लगातार बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार इनमें से 35 लोग भारत की सीमा से लगे इलाम जिले में भूस्खलन की अलग-अलग घटनाओं में मारे गए, जबकि नौ लोग बह गए और तीन लोग बिजली गिरने से मारे गए।
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में सबसे ज्यादा मौतें इलाम जिले में भूस्खलन की वजह से हुई। यहां मलबे से अब तक 43 शव बरामद किए गए हैं। नेपाल के 24 हाइवे पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं। कोसी बैराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं, जिनसे 5 लाख क्यूसेक पानी प्रति सेकेंड छोड़ा जा रहा है। हालांकि, प्रभावित इलाकों का मुआयना करने गए उत्तर बंगाल पुलिस के महानिदेशक (DG) राजेश कुमार यादव ने बताया कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। नीचे दिए वीडियो में आप कोसी बैराज को देख सकते हैं कितनी तेजी से पानी बह रहा है।
Nepal has released enormous amount of water and all 58 gares of Kosi barrage is now open.
North Bihar, please brace for the floods.
— With Love Bihar (@WithLoveBihar) October 5, 2025
नेपाल में अवकाश और रेड अलर्ट
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने सोमवार और मंगलवार को देशभर में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। आपातकालीन सेवाओं और आपदा प्रतिक्रिया टीमों को अवकाश नहीं दिया गया है क्योंकि ऐसे स्थिति में उनका होना जरुरी है।
काठमांडू पोस्ट समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, मौसम विभाग के अधिकारियों ने एक दर्जन से अधिक जिलों को रेड अलर्ट पर रखा है। विभाग प्रमुख कमल राम जोशी ने जलमार्गों के निकट रहने वाले निवासियों को तुरंत स्थान खाली करने की चेतावनी दी है।
बचाव अभियान जारी
बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित इलाकों में नेपाल सेना, नेपाल पुलिस और नेपाल पुलिस बल की बचाव टीमों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है।

नेपाली सेना के जवान रविवार को झापा जिले में बाढ़ के बाद बचे लोगों को ले जाते हुए। (फोटो साभार : एपी)
नेपाल के इन इलाकों में बारिश की संभावना
मौसम विभाग ने अलर्ट में नेपाल की राजधानी काठमांडू, बागमती, गंडकी, लुम्बिनी और मधेश प्रांतों में बारिश होने की आशंका जताई है। अधिकारियों ने बागमती और पूर्वी राप्ती नदी घाटियों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की वजह
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की छपी रिपोर्ट में सामने आया कि पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की असली वजह निर्माण कार्य है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के भू-खतरा प्रभाग के प्रोफेसर और प्रमुख चंदन घोष ने पीटीआई-भाषा को बताया , “मैदानी इलाकों में सड़कों को चौड़ा करना और बनाना आसान है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में यह एक चुनौती है।”
उन्होंने कहा, “कड़वी सच्चाई यह है कि निर्माण के बाद उचित दिशा-निर्देशों और किसी भी सहायक कदम के बिना, बेतरतीब ढंग से निर्माण कार्य चल रहा है।” उन्होंने कहा कि पहाड़ों के कटाव करने पर पानी का जमाव चट्टानों, मलबे और मिट्टी के ढलानों से नीचे खिसकने लगता है और पानी सीधे अंदर बहकर जमा हो जाता है।
घोष ने कहा, “अगर हम जल निकासी का ध्यान रखें, तो बरसात के मौसम में कभी कभी होने वाले 80 से 85 प्रतिशत भूस्खलन से बचा जा सकता है। ऐसे उपायों पर सड़क निर्माण प्रक्रिया की लागत का लगभग 1-2 प्रतिशत खर्च आएगा।”
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