इस साल के लोकसभा चुनाव में दलित वोटों को मद्देनज़र रखते हुए , भाजपा ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में “भीम महासंगम” नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें 5,000 किलोग्राम खिचड़ी पकाई गई है।
जिसमे पिछड़े वर्ग से जुड़े हजारों लोगों को ये खिचड़ी खिलाई गई है। इस कार्यक्रम के जरिये बीजेपी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को जोड़ने की कोशिश में है।
हालांकि, उदित राज, उत्तर-पश्चिम दिल्ली से लोकसभा सदस्य रविवार को इस कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं ये साफ़ ज़ाहिर नहीं था। लेकिन बाद में कार्यक्रम के दौरान उनकी मौजूदगी देखी गई। उदित राज ने पहले “महाभोज” के आयोजन पर अपना आरक्षण व्यक्त किया था, जिसमें कहा गया था कि इस तरह के आयोजन सामाजिक सद्भाव के लिए अच्छे हैं लेकिन चुनावी लाभ में तब्दील नहीं होंगे। वो अक्सर दलितों की आवाज़ बनकर सामने आये हैं, ऐसे में उनका इस कार्यक्रम में आना काफी हैरान करने वाला था।
उनके साथ केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, थावरचंद गहलोत और विजय गोयल, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) रामलाल, दिल्ली की संसद की सदस्य मीनाक्षी लेखी और परवेश वर्मा और अन्य वरिष्ठ नेता भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
पेशे से शेफ विष्णु मनोहर ने नागपुर से आकर रामलीला मैदान में बीजेपी के लिए ये खिचड़ी पकाई थी। 10 बाई 10 फ़ीट और 850 किलो वजन वाली कड़ाही में नागपुर से आई 1000 किलो दाल चावल, 500 किलो सब्ज़ी, 200 किलो घी, 100 लीटर तेल, 200 किलो मसाले और 5000 हज़ार लीटर पानी डाला गया, कुल 5000 किलो खिचड़ी बनकर तैयार की गई थी।
रविवार सुबह रामलीला मैदान में भाजपा समर्थकों ने केसरी रंग के झंडे लहराए और पार्टी के समर्थन में नारे भी लगाए। दिल्ली भाजपा के नेताओं ने दावा करते हुए कहा कि इस समारोह में दलित समुदाय के 25,000 से अधिक लोगों की भीड़ जमा हुई थी।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह कार्यक्रम एकता और समावेशिता का संदेश देने के लिए आयोजित किया गया था।
“खिचड़ी के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री, जैसे चावल और दाल तीन लाख से अधिक दलित घरों से एकत्र किए गए थे। यदि वे पिछले पांच वर्षों में भाजपा के शासन से खुश नहीं थे, तो वे अपना योगदान ही क्यों देते? ” ऐसा दिल्ली भाजपा प्रमुख, मनोज तिवारी का कहना है। उनके अनुसार लोगों का योगदान ही भाजपा सरकार की तरफ उनके समर्थन की ओर इशारा करता है।
ऐसे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव प्रणव झा का कहना है कि “इस सरकार ने पिछले 55 महीनों में देश भर में दलितों की खिलाफ हो रहे उत्पीडन की कई उदहारण पेश किये हैं। इस सरकार ने जानबूझकर एससी/एसटी (अनुसूचित जाति) शिक्षा के लिए आवंटित फंड में कटौती की है। इसने जानबूझकर नियुक्तियों को एक तरह से समर्पित कर दिया ताकि दलितों को अयोग्य घोषित कर दिया जाए। इसने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम की कमजोर पड़ने की वकालत की। आज अगर हम इनका हृदय परिवर्तन देखते हैं, तो यह चुनावी नशे की वजह से है जो भाजपा और उसकी राजनीति को पांच राज्यों में मिली है। उनका असली रूप लोगों ने देख लिया है। ऐसे में खिचड़ी पकाने से उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है।”