खबर लहरिया Blog भारतीय शेयर बाजार पर कोरोना का कहर, निवेशकों को हुआ 11 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार पर कोरोना का कहर, निवेशकों को हुआ 11 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार पर कोरोना का कहर, निवेशकों को हुआ 11 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान

महामारी घोषित होने के बाद कोरोना का असर दुनिया भर के शेयर बाजारों में हाहाकर के बाद शुक्रवार 13 मार्च को भारतीय शेयर बाजार (सेंसेक्स और निफ्टी) में एक और बड़ी गिरावट दर्ज की जा रही है। सेंसेक्स 1564 अंकों की गिरावट के साथ के 31,214 स्तर पर खुला तो वहीं निफ्टी करीब 755.25 अंक लुढ़क कर के 8,834.90 स्तर पर। बाजार खुलने के चंद मिनटों में ही सेंसेक्स 3090.62 अंक टूट गया। निफ्टी 966.10 अंक यानी 10.07% टूटकर 8,624.05 के स्तर पर आ गया। इसके बाद इसे एक घंटे के लिए बंद कर दिया गया। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसा कमजोर होकर 74.44 पर आ गया है।

11 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान
लगातार शेयर बाजार के पतन के चलते निवेशकों के 11.42 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बुधवार यानी 11 मार्च की शाम को कारोबार खत्म होने पर 137 लाख करोड़ रुपये था, जो गुरुवार यानी 12 मार्च को घटकर 126 लाख करोड़ रुपये रह गया।

ग्लोबल मार्केट में भारी गिरावट
अमेरिकी बाजार कोरोना वायरस से घबरा गए हैं। बुधवार के कारोबार में डाओ जोंस 1460 अंक फिसल गया था। डाओ बुधवार को अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से 20 फीसदी नीचे आ गया था। इसके साथ ही नैस्डैक और एसएंडपी 500 भी 5 फीसदी तक गिरे थे। वहीं, एशियाई शेयर बाजार औंधे मुंह गिर गए। टोक्यो में 5 फीसदी से ज्यादा, हांगकांग में 3.8 फीसदी और सिडनी में लगभग 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बैंकॉक शेयर बाजार लगभग 8 फीसदी नीचे चला गया। सियोल, वेंलिंगटन, मुंबई शेयर बाजार और ताइपे में लगभग 4 फीसदी की गिरावट देखी गई। जबकि सिंगापुर और जकार्ता में 3 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई। शंघाई शेयर बाजार में 1.3 फीसदी की गिरावट आई।

लोन देने की शर्तों में दी जा सकती है ढील
सूत्रों के मुताबिक, सरकार और आरबीआई प्रभावित सेक्टर्स में नकदी बढ़ाने पर जोर देगी, सप्लाई चेन बाधित होने पर राहत देने का फैसला किया गया है। लोन देने की शर्तों में ढील दी जा सकती है। अगर उन सेक्टर्स की कंपनियां कोरोना वायरस की वजह से या एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट में गिरावट की वजह से लोन चुकाने में नाकाम हैं तो उनको एनपीए घोषित करने में थोड़ी सी नरमी बरती जाए।

ऐसे करीब पांच सेक्टर्स की पहचान भी की गई है। उन पांचों सेक्टर पर प्रधानमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन भी दिया जा चुका है। फार्मा, ऑटो, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर, ये पांच सेक्टर्स पर सरकार का ज्यादा फोकस है। इनके लिए बहुत जल्द आरबीआई की तरफ से बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

क्या है गिरावट के कारण
-विदेशी फंड के लगातार बाहर जाने के चलते निवेशकों की भावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को सकल आधार पर 3,515.38 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। मासिक आधार पर देखें तो अब तक विदेशी निवेशकों ने 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक रकम भारतीय बाजार से निकाल लिए हैं।

– सरकार ने 15 अप्रैल तक सभी देशों के पर्यटक वीजा निलंबित कर दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका शुक्रवार से (स्थानीय समयानुसार) 30 दिन के लिए यूरोप से सभी यात्राएं रद्द करने जा रहा है। इस दौरान किसी तरह के यातायात को इजाजत नहीं दी जाएगी। ब्रिटेन को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

-विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना को विश्वव्यापी महामारी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 को पैनडेमिक (विश्वव्यापी महामारी) माना जा सकता है।

शेयर बाजार की गिरावट से आम लोगों पर असर
आमतौर पर शेयर बाजार में गिरावट आने से यह माना जाता है कि शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को ही नुकसान होता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। बाजार में गिरावट आने से म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करने वाले निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि शेयरों में गिरावट आने से उन म्यूचुअल फंड हाउस को नुकसान उठाना होता है जो उनमें निवेश किए होते हैं। कंपनियों को शेयरों में गिरावट से बाजार का माहौल खराब होता है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से जॉब के मौके और वेतन वृद्धि पर भी असर होता है।

-शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने पर न सिर्फ नौकरियों के अवसर में कमी आती है बल्कि वेतन वृद्धि भी प्रभावित होती है क्योंकि बाजार की चाल से अर्थव्यवस्था के माहौल को पता चलता है। गिरावट आने पर माहौल खराब होता है।

-शेयर बाजार में तेजी से किसी देश की अर्थव्यवस्था को आंका जाता है। वहीं, गिरावट आने पर उस देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका बढ़ जाती है। तेजी जारी रहने पर रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और गिरावट में कम होते हैं।

-शेयर बाजार में गिरावट आने से निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं। इससे सोने की मांग तेजी से बढ़ती है जिससे कीमतों में तेजी से इजाफा होता है।