खबर लहरिया Blog भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण : जानें कितना हुआ यात्रा का असर

भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण : जानें कितना हुआ यात्रा का असर

राहुल गांधी ने कुछ ज़मीनी स्तर से जुड़ी यूट्यूब चैनल मीडिया के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि वह सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। इस बात का भी ज़िक्र किया कि मेनस्ट्रीम की मीडिया उनको न के बराबर कवर करती है और बीजेपी उनकी छवि खराब करने में अरबो-खरबों का बजट खर्च करती है।

congress party, rahul gandhi, 2nd phase of Bharat Jodo Yatra, Know the impact of the Yatra

                                              फोटो साभार – खबर लहरिया

बागपत : भारत जोड़ो यात्रा 4 जनवरी को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से होकर गुज़री। इस यात्रा का यह दूसरा चरण है और इसकी शुरुआत 3 जनवरी 2023 को हुई थी। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में प्रवेश के साथ यात्रा को हिट करने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी। पूरे समूचे ने उत्तर प्रदेश से ज़िला से लेकर ब्लॉक स्तर तक के कार्यकर्ताओं ने यूपी बॉर्डर पर डेरा डाल दिया। राहुल गांधी जब दिल्ली से लोनी बॉर्डर के ज़रिए यूपी में दाखिल हुए तो कांग्रेस के इन प्रयासों का असर भी साफ नज़र आया। खबर लहरिया को बताया गया कि पहले दिन ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में समूचे उत्तर प्रदेश से आए हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी तादाद में स्थानीय लोग भी शामिल थे। ऐसी किसी भी रैली में भीड़ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है। जहां तक नज़र जाए और उससे पार भी सिर्फ़ लोगों का हुज़ूम था। राहुल गांधी की यात्रा से अल्पसंख्यक मुस्लमान बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं। हाल के दशकों में उत्तर प्रदेश में मुस्लमान समाजवादी पार्टी के साथ रहे हैं लेकिन अब उनमें कांग्रेस की तरफ़ झुकाव बढ़ता दिख रहा है।

ये भी देखें – कौशांबी : मछुआरे हुए बेरोज़गार

भोर से लेकर देर शाम तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए लोग

खबर लहरिया की टीम बागपत के मावी कलां गांव पहुंची। यहां विशाल पंडाल लगाया गया था। थोड़ी दूर चलकर किसाना गांव में भी दो पंडाल लगाए गए थे जहां पर ठहरने और खाने की व्यवस्था थी। वहां पर लोगों का बड़ा हुजूम था। हाड़ कपां देने वाली कड़ाके की ठंड में सुबह 6 बजे से पैदल यात्रा मवीकला तिराहे से किसाना गांव में लगे पंडाल तक चली थी। यहां पर विश्राम के बाद शाम तीन बजे से रसूलपुर गांव से फिर शुरू हुई। राहुल गांधी के साथ साथ हुजूम भी कदम से कदम मिलाकर चल रहा था। सिक्यूरिटी बहुत टाइट थी। मजाल है कि कोई रस्सी के जरिये लगाए गए लक्ष्मण रेखा के अंदर या बाहर कोई आ-जा सके।

घरों से निकल कर लोग दरवाजे और छतों पर खड़े होकर उनका अभिवादन कर रहे थे। ऐसा लग रहा था कि लोग कह रहें है कि राहुल गांधी हम तुम्हारे साथ हैं। खबर लहरिया ने झुंड में खड़ी कुछ महिलाओं से बातचीत की। उनमें से करीब पांच महिलाओं ने कहा कि यह यात्रा बहुत अच्छी लग रही है। मुद्दा भी ठीक है, लेकिन ये इलाक़ा किसी और पार्टी का है। ऐसे में वोटों पर इसका बहुत अधिक असर नहीं होगा। अभी बीजेपी की सरकार है वह भी अच्छा काम कर रही है। भले ही उनको कुछ दिक्कतें हैं इस सरकार से भी। अगर राहुल गांधी ने अच्छा काम किया तो इनको भी वोट देंगी।

यूट्यूबर मीडिया से हुए रूबरू

शाम की यात्रा शुरू करने से पहले राहुल गांधी ने कुछ ज़मीनी स्तर से जुड़ी यूट्यूब चैनल मीडिया के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि वह सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। इस बात का भी ज़िक्र किया कि मेनस्ट्रीम की मीडिया उनको न के बराबर कवर करती है और बीजेपी उनकी छवि खराब करने में अरबो-खरबों का बजट खर्च करती है। ऐसे में शायद उनको ऐसी मीडिया से उम्मीद रही है। इस तरह की मीडिया को कवरेज करने और काम करने में किस तरह की दिक्कतें और चुनौतियां होती हैं इस पर भी उन्होंने खुलकर बात की।

पार्टी या नेता या फिर दोनों की छवि में होगा सुधार?

देश में एक मुख्य विपक्ष की ज़रूरत थी। विपक्ष का सामने आना बहुत ज़रूरी था। राहुल गांधी सड़क पर लोगों से मिल रहे हैं और उनके मुद्दों को समझ रहे हैं। जब वो कश्मीर तक पहुंचेंगे तब हिंदुस्तान की उस जनता को समझ चुके होंगे जो सड़क पर अपने मुद्दों के साथ उनसे मिलने आई थी। ये यात्रा राहुल गांधी के व्यक्तित्व को भी और परिपक्व करेगी। आज हिंदुस्तान को ऐसे ही नेता की ज़रूरत है जो उसके लोगों को समझता हो।

2014 के बाद से कांग्रेस अपने राजनीतिक इतिहास में लगातार सबसे कमज़ोर स्थिति में हैं। वहीं उसकी विपक्षी पार्टी बीजेपी अपने सबसे मज़बूत दौर से गुज़र रही है। इसलिए बीजेपी ने बीते दो लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की है और देश के अधिकतर राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी अपनी इस यात्रा से बीजेपी को चुनावी चुनौती दे पाएंगे?

इस खबर की रिपोर्टिंग व लेख मीरा देवी द्वारा किया गया है। 

ये भी देखें – बुंदेलखंड : पर्यावरण और मानव जीवन के लिए खतरा बना खनन

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke