खबर लहरिया चुनाव विशेष कांग्रेस की नीति हुई सफल, बीजेपी को हटा पहुंची सबसे ऊपर

कांग्रेस की नीति हुई सफल, बीजेपी को हटा पहुंची सबसे ऊपर

साभार: विकिपीडिया

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का पहलु काफी अविश्वसनीय पाया गया है। कांग्रेस के लिए खासकर पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी के लिए बीजेपी को हटाना आसान नहीं था। नाम बदलने और राम मंदिर के मामले के बीच जूझ रही भाजपा पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में कई पीछे से छुट गई है। इन सबके बीच पार्टी के अधिकारी लोगों के समक्ष अपना समर्थन हासिल कर पाने में सक्षम नहीं पाए गए हैं।

विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को घोषित किए गये थे। जिसमे कांग्रेस, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर आई है। साथ ही में उन्होंने मध्य प्रदेश में भी भारी बहुमत से जीत हासिल करी है।

इस बार के विधानसभा चुनाव से साफ़ ज़ाहिर होता है कि देश की जनता अब बीजेपी की नहीं बल्कि कांग्रेस की सरकार बनाना चाहती है। जिसके चलते चुनाव के नतीजों से बताया जा सकता है कि कांग्रेस बीजेपी को हटाने की नीति में सफल पाई गई है।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना राज्यों में इन विधानसभा चुनावों की जनसांख्यिकीय संरचना पर भी काफी असर पड़ा है।

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की शानदार जीत, अब पार्टी के लिए एक नई समस्या की ओर इशारा करती है।

15 वर्षों के अंतराल के बाद राज्य में सत्ता में लौटने के बाद, कांग्रेस के कम से कम तीन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार माने जा रहे हैं: राज्य पार्टी के अध्यक्ष भूपेश बागेल, विघटित विधानसभा में विपक्ष के नेता टीएस सिंह देव और राज्य के एकमात्र सांसद तमराधवा साहू।

पार्टी के अनुसार सभी दावेदार इस पद के लिए सक्षम पाए गये हैं। पार्टी के अधिकारियों का कहना है कि अंतिम परिणाम 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में पार्टी के लिए आधारभूत आधार तैयार करने में मदद करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होंगे।

सूत्रों के ज़रिये ये भी पता चला है कि आने वाली विधानसभा में, 90 सदस्यों में से 13 महिलाएं होंगी। और इस बार की सभा की औसत आयु 4 साल से कम कर दी गई है। साथ ही में सभा में उन्नत डिग्री वाले सदस्यों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है।

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश चुनाव के ज़रिये देश में काफी समय बाद दो पार्टियों के बीच इतना कड़ा मुकाबला देखने को मिला है। चुनाव के नतीजों से ये बताया जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी प्रतियोगिता काफी करीब थी। लेकिन अंत में, कांग्रेस एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर आई है।

कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 114 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 41 फीसदी वोट के साथ 109 सीटें जीती – हारने वाली पार्टी को विजेता से 0.1 प्रतिशत अधिक अंक मिले हैं।

मध्य प्रदेश की आने वाली विधानसभा में, 230 सदस्यों में से 20 महिलाएं चुनी गई है। और इस बार की सभा की औसत आयु में 2 साल की वृद्धि कर दी गई है। लेकिन इस बार की सभा में उन्नत डिग्री वाले सदस्यों की संख्या में कमी पाई गई है।

राजस्थान
राजस्थान विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 199 में से 99 सीटें जीती जबकि बीजेपी ने 73 सीटें हासिल की हैं। बीएसपी और अन्य ने क्रमश: 6 और 20 सीटें जीती हैं।

बीएसपी प्रमुख मायावती ने बताया कि राजस्थान में कांग्रेस को उनकी तरफ से महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा और साथ ही वे कांग्रेस के प्रति अपना पार्टी समर्थन भी जताएंगी।

कांग्रेस विधानमंडल पार्टी (सीएलपी) की बैठक बुधवार को पार्टी के राज्य मुख्यालय में अगले राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा करने के लिए शुरू की गई थी। अंतिम निर्णय राहुल गांधी द्वारा प्रतिक्रिया के आधार पर लिया जाएगा। पार्टी के अनुसार मुख्यमंत्री का नाम आज यानि गुरूवार की शाम को घोषित किया जाएगा।

राजस्थान की आने वाली विधनासभा में, 199 सदस्यों में से 23 महिलाओं को चुना गया है। इस बार की सभा की औसत आयु वही रखी जाने का निर्णय लिया गया है। और साथ ही में इस बार की सभा में उन्नत डिग्री वाले सदस्यों की संख्या में वृद्धि भी हुई है।

मिजोरम
भले ही कांग्रेस, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर आई है लेकिन उसकी यही कोशिशें उसे मिजोरम और तेलंगाना में सफल नहीं करा पाई है। मिजोरम के इस बार के विधानसभा चुनाव में एमएनएफ पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल करी है।

मिजोरम की आने वाली सभा में, 40 सदस्य चुने गए हैं। जिनमे एक भी महिला प्रतिनिधि को बढ़ावा नहीं दिया गया है। साथ ही में इस बार की विधानसभा की औसत आयु पहले की तरह सामान रखी गई है। वहीँ दूसरी तरफ इस बार की सभा में उन्नत डिग्री वाले सदस्यों की संख्या में कमी पाई गई है।

तेलंगाना
हालाँकि कांग्रेस तेलंगाना विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने में असफल रही, लेकिन मतदान प्रतिशत के मुकाबले उनकी राज्य की इस बार की स्थिति में काफी सुधार देखा गया है। तेलंगाना में इस बार फिर से केसीआर को शासन में सत्ता प्रदान की गई है।

2014 में, कांग्रेस ने 25.02% वोट वोट के साथ 119 सीटों में से 21 सीटें जीती थीं। इस बार, कांग्रेस ने चार सीटों सहित केवल 100 सीटों पर चुनाव लड़ा, क्योंकि तेलुमा देशम पार्टी, सीपीआई और तेलंगाना जन समिति के साथ महा कुट्टामी या पीपुल्स फ्रंट बनाने के लिए गठबंधन किया गया था।

तेलंगाना में आने वाली विधानसभा में, 119 सदस्यों में से 5 महिलाएं चुनी गई हैं। इस बार की सभा में 61% ससद्यों को फिर से निर्वाचित किया गया है। सभा की औसत आयु 3 साल बढ़ा दी गई है। और साथ ही में उन्नत डिग्री वाले विधायकों की संख्या में भी काफी वृद्धि देखने को मिली है।