कविता शो के इस एपिसोड में आपका स्वागत है। गांवों में आल्हा-ऊदल के सायरा गाये जाते हैं। मृदंग बजाकर गांवो में रातभर सायरा का आंगन उठाया जाता है। यही समय होता है जब लोग आल्हा ऊदल के इतिहास में डूब जाते हैं। उनके बचपन जवानी और वीरता की गाथा में सराबोर होते हैं। आल्हा ऊदल की याद में जगह-जगह दंगलों का आयोजन भी किया जाता है। आल्हा ऊदल की नगरी महोबा में खास कजली मेला का आयोजन होता है। यहां पर बड़े-बड़े कलाकार बुलाये जाते हैं। खूब नाच-तमाशा, गाना-बजाना होता है। मेले का आनंद लेने के लिए बुंदेलखंड के आसपास के जिले से लोग आते हैं। यही एक मौका होता है जब महिलाओं को घर से बाहर निकल कर घूमने-फिरने मनोरंजन करने और मन पसंद की अपनी खरीददारी करने का मौका मिलता है।
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रक्षा बंधन का त्योहार भी तो इसी से जुड़ा है। महोबा के तालाबों में रक्षा बंधन के एक दिन बाद कजेलिया सेराई जाती हैं। जमकर मेला लगता है। राखी से ज़्यादा यहां कजेलिया का महत्व है। इस बार तो अभी से सोशल मीडिया में रक्षा बंधन के वीडिओ वायरल हो रहे हैं। भाई-बहन से पूछता है इस बार राखी बांधने के बाद क्या गिफ्ट लोगी? तो बहन कहती है अरे! भाई ज्यादा कुछ नहीं चाहिए बस दस बीस किलो टमाटर लेते आना। तो आप समझ ही गये होगें की टमाटर के ऊपर चढ़ी महंगाई इस बार के रक्षा बंधन को भी चुनौती दे रही है। तो आपकी बहन गिफ्ट में क्या मांग कर रही है? हमें कमेंट करके ज़रूर बताये। इस बार के शो में इतना ही। अगर आप कल्चर से जुड़े मुद्दे सुनना पसंद करेंगे तो मैं ज़रूर से इस पर विचार करूंगी। अगली बार फिर मिलूंगी नई चर्चा के साथ, नमस्कार!!
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