छत्तीसगढ़ में ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से कोयले के लड्डू बनाए जाते हैं, जो घरेलू ईंधन के रूप में उपयोग किए जाते हैं। यह लड्डू गोबर, कोयले की भस्म, लकड़ी की राख और कभी-कभी पत्तियों को मिलाकर बनाए जाते हैं। इन लड्डुओं को धूप में सुखाया जाता है ताकि यह जलने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएं। यह पर्यावरण के अनुकूल, सस्ता और स्थानीय संसाधनों पर आधारित ईंधन विकल्प है, जिसका उपयोग खासकर खाना पकाने और ठंड के मौसम में गर्मी पाने के लिए किया जाता है। यह ग्रामीण महिलाओं की आजीविका का भी साधन बनता है।
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