भारत में जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की चेतावनी नहीं, बल्कि आज की सच्चाई है। बुंदेलखंड में बेमौसम बारिश से फसलों का नुकसान, दिल्ली में दिवाली के बाद जहरीली हवा और यमुना नदी में फैलता प्रदूषण- ये सब दिखाता है कि पर्यावरण संकट हमारे हर हिस्से को प्रभावित कर रहा है। फिर भी, लोग इसे मज़ाक समझते हैं। अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक स्टडी बताती है कि अगर उत्सर्जन नहीं घटाया गया तो आने वाले सालों में देश के लगभग 196 ज़िलों में गर्मियों का तापमान 1 डिग्री तक बढ़ जाएगा। सोचिए, जब लद्दाख और कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों में भी गर्मी बढ़ेगी, तो भारत का भविष्य कितना असुरक्षित होगा। जलवायु परिवर्तन अब कार्रवाई की मांग करता है, न कि अनदेखी की।
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